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लंपी वायरस चर्म रोग मवेशियों में तेजी से फैल रहा है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में इस बीमारी के फैलने के बाद से अब तक 67,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इसने बीमारी के सबसे अधिक मामलों वाले आठ से अधिक राज्यों में मवेशियों का टीकाकरण करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास को प्रेरित किया है। ये राज्य हैं गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर (यूटी)। आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कुछ छिटपुट मामले हैं।
Deadly Lumpy Skin Disease
लंपी वायरस एक संक्रामक वायरल रोग है जो मवेशियों के बीच मच्छरों, मक्खियों, जूँ और ततैया के सीधे संपर्क में आने के साथ-साथ दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है। मवेशियों से मनुष्यों में संचरण का कोई सबूत नहीं है।
पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतिंद्र नाथ स्वैन ने कहा कि राज्य वर्तमान में मवेशियों में ढेलेदार त्वचा रोग (एलएसडी) को नियंत्रित करने के लिए 'बकरी चेचक' के टीके का उपयोग कर रहे हैं।
संक्रमण का हो रहा देशी उपचार
नीम के पत्ते एक मुट्ठी , तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी लेहसुन की कली 10 हल्दी पाउडर 10 ग्राम , नारियल का तेल 500 मिलीलीटर को को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाये।
साथ ही किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार कराएं। किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वंय न करें। लम्पी स्किन बीमारी से बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को टीका निःशुल्क लगाया जा रहा है. सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीका अवश्य लगवाएं।
Sant Shri Asharamji Bapu has given Cure for Cows against Deadly Lumpy.
— Mahesh Fofandi (@MaheshFofandi3) September 22, 2022
By Spraying 'Gausewa Sugandhit Phenyl', with proper caution, on the cows and in gaushala, Deadly Lumpy can be prevented#गौरक्षा_परम_कर्त्तव्यpic.twitter.com/ilUHsijZCf pic.twitter.com/RE1K2SielD
लंपी वायरस के लक्षण
लंपी वायरस के लक्षणों में तेज बुखार, कम दूध उत्पादन, त्वचा की गांठें, भूख न लगना, नाक से पानी निकलना और आंखों से पानी आना, बहुत अधिक लार आना और आंखों और नाक से पानी का निकलना और शरीर पर गांठों का बनना शामिल हैं।
अगर आपका पशु इस बीमारी से ग्रसित हो गया है तो इस बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। साथ ही पशुओं को मक्खी,चिचडी एंव मच्छर के काटने से बचाने किस दिशा में काम करें। संक्रमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें।