/hindi/media/media_files/Hpp5Cd59FeQNUes2VEky.jpg)
Death Penalty to UP gang rape Convicts
Death Penalty To UP Gang Rape Convicts: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की अदालत ने 2 नवंबर को हलीम उर्फ खरबर और रिजवान नाम के दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई। उन पर सामूहिक दुष्कर्म और नाबालिग से मारपीट करने का आरोप है। अदालत ने सामूहिक बलात्कार मामले का जिक्र करते हुए अपने फैसले में कहा, "जिस तरह का अपराध किया गया है उसके लिए कोई सजा पर्याप्त नहीं है।"
क्योंकी पीड़िता नाबालिग थी, इसलिए POCSO कोर्ट में मामला दायर किया गया था। POCSO कोर्ट के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने एक महिला के शरीर की तुलना एक मंदिर से की और कहा की, “एक महिला का शरीर एक मंदिर की तरह होता है और एक महिला ही यह तय कर सकती है कि इसमें कौन प्रवेश कर सकता है, किसी को भी उसे जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं है।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह विडंबना है कि भारतीय समाज विभिन्न देवी-देवताओं की उनकी जरूरतों के लिए पूजा करते हुए, फिर भी महिलाओं को एंज्योमेंट की वस्तु के रूप में देखता है। पंकज कुमार श्रीवास्तव ने कहा,
“यह विडंबना ही है कि हमारे देश में हम शक्ति के लिए मां दुर्गा की, धन के लिए मां लक्ष्मी की, ज्ञान के लिए मां सरस्वती की और मां की तरह गंगा जैसी नदियों की पूजा करते हैं। हमने महिलाओं को राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल आदि पदों पर पदोन्नत किया है, उस देश में नाबालिग पीड़िता के साथ ऐसा जघन्य और क्रूर सामूहिक बलात्कार पूरे समाज पर सवालिया निशान लगाता है।”
केस में क्रूरता को और उजागर करते हुए, जज ने कहा कि इन लोगों ने न केवल उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि उसके शरीर को भी क्रूर बना दिया और उसे मृत समझकर रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया- यह दुर्लभ से एक दुर्लभ मामला है।
कोर्ट ने इसे सबसे बेहद क्रूर बताया क्योंकि एक नाबालिग समेत तीन लोगों ने एक नाबालिग लड़की से रेप किया। उसके साथ बेहराहमी से मारपीट की गई। अपराधियों ने उसके सिर को घायल कर दिया और उसका चेहरा खराब कर दिया, जिससे बची नाबालिग के पास केवल एक आंख रह गई और जीवन भर के लिए उसकी बाईं आंख की रोशनी चली गई। उसके हाथ, पैर और जांघों पर चोटें आईं, जिससे उसके दाहिने घुटने में भी फ्रैक्चर हो गया।
कोर्ट में जजमेंट में कहा-
यह अधिनियम मानसिक दिवालियेपन और महिलाओं के प्रति उनकी सोच और किस हद तक जा सकता है, यह दर्शाता है। यह समझ से परे है कि ये लोग नाबालिग के साथ जानवर जैसा व्यवहार क्यों कर रहे थे क्योंकि ऐसी क्रूरता जानवरों के खिलाफ भी नहीं की जाती है।
यूपी सामूहिक बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा
अदालत ने दोषी बलात्कारी को 31 साल कैद की सजा के साथ 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 357 के तहत शारीरिक चोट और मानसिक आघात पहुंचाने पर और नाबालिग उत्तरजीवी के पुनर्वास के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश ददिया।