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Education in Corona : डिजिटल पढ़ाई ने गरीब बच्चों को किया परेशान

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Swati Bundela
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Education in Corona  - इंडिया में जब हम बच्चों की पढ़ाई को लेकर सोचते हैं तब हम अधिकतर अपने हिसाब से बच्चों को देखते हैं। लेकिन भारत में कई छेत्र ऐसे हैं जहाँ अच्छे स्कूल में पढ़ाई करना और स्कूल जाना आज भी बच्चों का सपना है। पहले से ग्रामीण और पिछड़े छेत्र के बच्चे इनकी पढ़ाई को लेकर पैसे नहीं जुटा पाते थे और अब ऑनलाइन पढ़ाई से इन पर और बुरा असर पढ़ा है।

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डिजिटल पढ़ाई से गरीब बच्चों पर क्या असर हुआ है ?



एक मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया जहाँ लक्ष्मी साहू नाम की महिला और उसके पति ने पैसे उधार लेकर अपने बेटे को फ़ोन दिलाया। ये दोनों मिलकर भी महीने का 5000 रूपए के आस पास कमा पाते थे और इन्होंने बच्चे की पढ़ाई के लिए बेटे को 14000 का स्मार्टफोन दिलाया है। लक्ष्मी 32 साल की हैं और ये दूसरे के घर में काम कर के खुद के घर का खर्चा चलाती हैं। इनके पति एक जनरल स्टोर पर हेल्पर का काम करते हैं। ये चाहते थे कि इनका बच्चा इंग्लिश मध्यम स्कूल में पढ़े और उसकी कोई भी पढ़ाई का छूटे इसलिए इन्होंने दूसरे से उधार लेकर उसको फ़ोन दिलाया।
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बच्चों का डिजिटल पढ़ाई से क्या नुकसान हो रहा है ?



गरीब बच्चे जो मुष्किल से फ़ोन ले पाते हैं उसके बाद उसका रिचार्ज करना और डाटा मैनेज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। डाटा इतना महंगा होता है कि हर बच्चा नहीं ले सकता है जिसके कारण बार बार उनकी बीच में पढ़ाई छूटती है। इसके बाद जो बच्चे और उनके माता पिता ने कभी स्मार्ट फ़ोन चलाया ही नहीं उनके लिए स्मार्टफोन चलना टेक्नोलॉजिकली मुश्किल हो जाता है।
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बच्चे के लिए स्कूल क्यों जरुरी होता है ?



बच्चे के लिए एक उम्र के बच्चों के साथ बड़ा होना बहुत जरुरी होता है। इस से उनकी ग्रोथ जल्दी होती है और वो ज्यादा अच्छे से चीज़ें सीख पाते हैं। बच्चे जब स्कूल जाते थे तो उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी हो जाती है लेकिन अब वो सारा दिन घरों में बंद और टेक्नोलॉजी में घिरे रहते हैं जिस से न सिर्फ उनकी मेन्टल हेल्थ बल्कि फिजिकल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है।
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