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इंटरनेशनल बुकर प्राइस विनर Geetanjali Shree के बारे में जरुरी बातें

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Swati Bundela
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गीतांजलि श्री को इनकी किताब रेत समाधी के लिए बुकर प्राइस मिला है। यह पहली इंडियन बुक है जिसे इंटरनेशनल प्राइस मिला है। इस बुक को Tomb Of Sand नाम से डेज़ी रॉकवेल ने ट्रांसलेट किया था।  

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इन्होंने इनकी नावेल में एक 8 साल की महिला की कहानी लिखी है जो कि अपने हस्बैंड की मौत के बाद डिप्रेशन से गुजरती है। क्रॉसवर्ड बुकस्टोर्स ने इनकी नावेल माई को क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट भी किया था। 

इस किताब में एक ऐसी माँ बेटी की कहानी दिखाई गयी है जो कि एक माँ बेटी के रिश्ते को दिखाती है। इसको तीन हिस्सों में बांटा गया है एक माँ बेटी एक रिश्ता, दूसरा बेटी का बड़ा होना माँ की सोच पीछे जाना और तीसरा है बेटी का बड़ा, फ्री और एक टीनेजर बन जाना। 

गीतांजलि की पहली कहानी 1987 में आयी थी जिसका नाम था बेल पत्र। यह इन्होंने हंस लिटरेरी मैगज़ीन में निकाली थी और साथ में ही इनकी शार्ट स्टोरीज का कलेक्शन भी जिसका नाम है अनुगूँज 1991।  इनकी माई नावेल इंग्लिश, सर्बियन और कोरियाई भाषा में उपलब्ध है।  साहित्य अकादमी अनुवाद की विनर नीता कुमार ने नावेल को इंग्लिश में ट्रांसलेट किया था।  

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गीतांजलि की दूसरी किताब का नाम है "हमारा शहर उस बरस"। इसकी कहानी सांप्रदायिक दंगे के आस पास लिखी गयी है खास तौर पर बाबरी मस्जिद डेमोलिशन को लेकर जो की 1992 में हुआ था।  

गीतांजलि उत्तर प्रदेश के एक छोटे से नगर में पाली बड़ी हैं। इनके पिता एक सिविल सेवक थे। इनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में पली बड़ी hone के कारन इंग्लिश भाषा की किताबों से इनका कम ही सम्बन्ध था।  

गीतांजलि ने इंटरनेशनल बुकर प्राइस मिलने पर कहा “I never dreamt of the Booker, I never thought I could. What a huge recognition, I’m amazed, delighted, honoured and humbled”

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इनकी किताब की शुरुवाती पंक्ति में लिखा है “Once you’ve got women and a border, a story can write itself. Even women on their own are enough. Women are stories in themselves, full of stirrings and whisperings that float on the wind, that bend with each blade of grass”

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