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मध्य प्रदेश में 5 सदस्यीय परिवार फंदे पर लटका मिला, बुराड़ी कांड की पुनरावृत्ति का संदेह

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में एक ही परिवार के पांच सदस्यों के फंदे पर लटके शव मिले। यह घटना दिल्ली के 2018 बुराड़ी कांड की पुनरावृत्ति जैसी लग रही है। पुलिस जांच में जुटी है।

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Vaishali Garg
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मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाके से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है। अलीराजपुर जिले के एक घर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों के फंदे पर लटके शव मिले हैं। यह घटना दिल्ली के बुराड़ी कांड की पुनरावृत्ति जैसी लग रही है।

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मध्य प्रदेश में 5 सदस्यीय परिवार फंदे पर लटका मिला, बुराड़ी कांड की पुनरावृत्ति का संदेह

घटना का विवरण

पुलिस के अनुसार, सोमवार सुबह 9:20 बजे सोडवा तहसील के रावड़ी गांव में पांच लोगों की मौत की सूचना मिली। मृतकों में किसान और राजमिस्त्री राकेश डोडवा (27), उनकी पत्नी ललिता डोडवा (25), उनके बेटे प्रकाश (7) और अक्षय (5), और उनकी बेटी लक्ष्मी (9) शामिल हैं। 

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शवों की स्थिति यह थी कि सभी सदस्य फंदे पर लटके पाए गए, जबकि बेटी लक्ष्मी का शव फर्श पर मिला। 

जांच की स्थिति

यह मामला पहली नजर में सामूहिक आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन घटना स्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ। जांच के लिए अलीराजपुर के उपविभागीय पुलिस अधिकारी (SDOP) की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है, इसके अलावा इंदौर से एक फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वाड भी बुलाया गया है।

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स्थानीय अधिकारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं ताकि इस मामले में और जानकारी मिल सके।

समान घटनाएं

इस घटना की समानता 2018 में दिल्ली के बुराड़ी में हुई मौतों से की जा रही है, जहां एक परिवार के ग्यारह सदस्य अपने घर में फंदे पर लटके पाए गए थे। उस मामले में भी दस सदस्य फंदे पर लटके मिले थे और एक वृद्ध महिला का शव दूसरे कमरे के फर्श पर मिला था। हालांकि, बुराड़ी मामले में पुलिस को हस्तलिखित नोट मिले थे, जिससे पता चला कि परिवार ने सामूहिक आत्महत्या साझा भ्रम के कारण की थी।

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इसी प्रकार, पिछले वर्ष गुजरात में एक परिवार के सात सदस्यों के फंदे पर लटके शव मिले थे और एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें वित्तीय कठिनाइयों का जिक्र था। महाराष्ट्र के म्हैसाल गांव में 2022 में नौ सदस्यों वाले परिवार की सामूहिक आत्महत्या भी इसी प्रकार की घटना थी।

यह घटनाएँ भारत के ग्रामीण इलाकों की गंभीर स्थिति और परिवारों को मिलने वाले समर्थन और शिक्षा की कमी को दर्शाती हैं, जिससे वे इतनी गंभीर स्थिति में आ जाते हैं कि उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ता है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

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