Historic Move: IRS Officer Changes Name and Gender: भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में एक ऐतिहासिक फैसले में, वित्त मंत्रालय ने एक भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी के नाम और लिंग परिवर्तन के अनुरोध को मंजूरी दे दी है। यह पहला मौका है जब किसी सरकारी अधिकारी को लिंग परिवर्तन की अनुमति दी गई है। पूरे सरकारी क्षेत्र में लैंगिक समावेशिता की शुरुआत के रूप में इस फैसले की सराहना की जा रही है।
ऐतिहासिक फैसला: पहली बार, एक IRS अधिकारी ने दस्तावेजों में नाम और लिंग परिवर्तन करवाया
रिपोर्ट के अनुसार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुश्री एम अनुसूया, आईआरएस (सीएंडआईटी:2013) ने वित्त मंत्रालय को एक याचिका दायर कर अपना नाम और लिंग बदलने की इच्छा जताई थी। अधिकारी चाहती थीं कि उनका नया नाम श्री एम अनुकथिर सूर्य हो और उनका लिंग महिला से पुरुष में बदल दिया जाए।
आदेश में क्या कहा गया? (What the Order Says)
9 जुलाई को दिए गए आदेश में कहा गया है, "सुश्री एम अनुसूया, आईआरएस (सीएंडआईटी: 2013) [कर्मचारी कोड: 4623, जन्म तिथि: 20.10.1988] वर्तमान में संयुक्त आयुक्त के रूप में ओ/ओ मुख्य आयुक्त (अपील प्राधिकरण), सीईएसटीएटी, हैदराबाद में पदस्थ हैं। उन्होंने अपने नाम को सुश्री एम अनुसूया से श्री एम अनुकथिर सूर्य और लिंग को महिला से पुरुष में बदलने का अनुरोध किया है।"
आदेश में आगे बताया गया है कि आईआरएस अधिकारी के अनुरोध पर विचार किया गया है और उसे मंजूरी दे दी गई है। आदेश में आगे कहा गया है, "सुश्री एम अनुसूया के अनुरोध पर विचार किया गया है। इसलिए, अब से इस अधिकारी को सभी आधिकारिक दस्तावेजों में 'श्री एम अनुकथिर सूर्य' के रूप में मान्यता दी जाएगी।" आदेश में यह भी कहा गया है कि यह निर्णय सक्षम प्राधिकारियों द्वारा लिया गया है।
आदेश में मुख्य आयुक्त (अपील प्राधिकरण), सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण और सीबीआईसी के अंतर्गत सभी प्रमुख मुख्य आयुक्तों/ प्रमुख महानिदेशकों का उल्लेख किया गया है।
आदेश की सराहना (Appreciation for the Order)
वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों ने इस फैसले की सराहना करते हुए मीडिया को बताया कि यह "प्रगतिशील" है और सरकारी भूमिकाओं के भीतर लैंगिक समावेशिता और पहचान के लिए द्वार खोलता है। अधिकारियों का यह भी मानना है कि यह फैसला लैंगिक विविधता के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि यह फैसला लैंगिक-समावेशी नीतियों और प्रथाओं को लाने में मदद कर सकता है जो सभी क्षेत्रों के परिदृश्य को बदल देंगी।
वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों में से एक ने मीडिया को बताया, "यह एक महत्वपूर्ण विकास है, जो भारतीय सिविल सेवाओं के भीतर लैंगिक पहचान की मान्यता और स्वीकृति में प्रगति को दर्शाता है। वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई स्वीकृति सरकारी पदों पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समावेशिता और समर्थन की एक मिसाल कायम करती है।"
आयकर विभाग में काम करने वाले एक अन्य वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण आदेश है, हमें सभी को अधिकारी और हमारे मंत्रालय पर गर्व है।"
पुलिस कांस्टेबल ललिता साल्वे का संघर्ष
यहां ललिता साल्वे नाम की एक पुलिस कांस्टेबल का भी उल्लेख किया गया है, जिन्होंने अपना नाम ललिता साल्वे से लालत साल्वे में बदलवाया था। बीड जिले के मजलगांव तहसील के राजेगांव गांव की रहने वाली ललिता साल्वे के जन्म के समय उनके जननांग अल्पविकसित थे। तब से, वह एक महिला के रूप में रहीं और उन्हें एक महिला पुलिस कांस्टेबल के रूप में भी शामिल किया गया था।
तीन दशक तक एक महिला के रूप में रहने के बाद, ललिता ने अपने शरीर में बदलाव देखना शुरू किया। 2014 में, ललिता का एक परीक्षण हुआ जिससे उनके शरीर में जैविक पुरुष (Y) गुणसूत्र पाया गया। इसके बाद, ललिता ने राज्य पुलिस विभाग को एक आवेदन पत्र दिया, जिसमें उन्होंने लिंग परिवर्तन ऑपरेशन के लिए एक महीने की छुट्टी मांगी। हालांकि, ललिता की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि पुरुष और महिला कांस्टेबलों के लिए पात्रता मानदंड अलग-अलग थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद ललिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया और बीड डीजीपी को ऑपरेशन के लिए आवश्यक छुट्टी देने का निर्देश देने की मांग की। अदालत ने ललिता को महाराष्ट्र अपीलेट ट्रिब्यूनल (एमएटी) के पास जाने का निर्देश दिया। अंतत: 2018 में, गृह विभाग द्वारा ललिता को सर्जरी के लिए हरी झंडी दे दी गई और बीड के पुलिस अधीक्षक ने भी उन्हें आवश्यक छुट्टी दे दी।