Foreign Secretary Vikram Misri पर ट्रोलिंग और उनकी बेटी पर निजी हमले, बेटियों को कब तक निशाना बनाया जाएगा?

विदेश सचिव विक्रम मिश्री को संघर्ष विराम की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया, लेकिन सबसे शर्मनाक था उनकी बेटी पर हुए निजी हमले। क्या हर बार किसी पुरुष अधिकारी से असहमति होने पर उसकी बेटी को निशाना बनाना सही है?

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Vaishali Garg
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Foreign Secretary Vikram Misri

Foreign Secretary Vikram Misri Photograph: (IAS Association via X)

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव के बीच जब Foreign Secretary Vikram Misri ने यह जानकारी साझा की कि दोनों देशों ने फिलहाल संघर्ष विराम पर सहमति बनाई है, तब एक तरफ़ देश में उम्मीद जगी, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर नफ़रत की बाढ़ आ गई। यह बाढ़ उस हद तक पहुंची कि सिर्फ़ मिश्री नहीं, बल्कि उनकी बेटी तक को अपमानजनक और अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। यह सवाल उठाता है जब किसी पुरुष अफसर या नेता से असहमति होती है, तो उनकी बेटियाँ क्यों निशाने पर आती हैं?

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Foreign Secretary Vikram Misri पर ट्रोलिंग और उनकी बेटी पर निजी हमले, बेटियों को कब तक निशाना बनाया जाएगा?

सरकार के निर्णय का संचार बन गया आरोप का कारण

विक्रम मिश्री, जो 1989 बैच के वरिष्ठ विदेश सेवा अधिकारी हैं, ने बतौर सरकार के प्रवक्ता यह बयान दिया कि भारत और पाकिस्तान फिलहाल सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे। पर जैसे ही यह बात सार्वजनिक हुई, सोशल मीडिया पर उन्हें “ग़द्दार”, “कमज़ोर” और “राष्ट्रीय शर्म” जैसे शब्दों से ट्रोल किया जाने लगा। एक दिन के भीतर उन्हें अपना सोशल मीडिया अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा।

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यह सब इसलिए हुआ क्योंकि कुछ लोग इस निर्णय को पाकिस्तान के प्रति नरमी मान बैठे। लेकिन क्या मिश्री ने यह निर्णय अकेले लिया? बिल्कुल नहीं। उन्होंने सिर्फ़ वही साझा किया जो भारत सरकार की आधिकारिक लाइन थी। तब फिर उन्हें और उनके परिवार को इस तरह अपमानित करना कितना उचित है?

जब पुरुष निशाने पर होते हैं, तो उनकी बेटियाँ क्यों घसीटी जाती हैं?

सबसे शर्मनाक बात यह रही कि ट्रोलिंग का शिकार उनकी बेटी को भी बनाया गया एक ऐसी युवा महिला, जिसका इस निर्णय से कोई लेना-देना नहीं था। यह न सिर्फ़ महिला विरोधी मानसिकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि हमारे समाज में आज भी महिलाओं को पुरुषों की पहचान का हिस्सा समझा जाता है। अफ़सर से असहमति है, तो उसकी बेटी को गाली दो क्या यही हमारी ‘डिजिटल संस्कृति’ है?

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पिछले कई वर्षों में हमने देखा है कि जब भी कोई पुरुष अफसर, नेता या अभिनेता विवादों में आता है, तो ट्रोलर्स सबसे पहले उसकी पत्नी, बहन या बेटी को निशाना बनाते हैं। यह एक गहरी पितृसत्तात्मक सोच का परिणाम है, जहाँ महिलाओं को 'कमज़ोरी' समझा जाता है, और पुरुष को चोट पहुँचाने का सबसे आसान रास्ता उसके परिवार की महिलाओं को नीचा दिखाना माना जाता है।

समाज का आईना बनता सोशल मीडिया या नफ़रत का अड्डा?

सोशल मीडिया लोकतंत्र का विस्तार होना चाहिए था विचार, बहस और सवालों का स्थान। परंतु आज यह नफ़रत, ट्रोलिंग और निजी हमलों का मंच बनता जा रहा है। एक वरिष्ठ अफसर, जो तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुका है और जिन्होंने वर्षों तक देश की सेवा की है, को इस तरह अपमानित करना बताता है कि हम बहस करना भूल चुके हैं और अब सिर्फ़ गिराना जानते हैं।

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समर्थन में सामने आए प्रशासनिक अफसर, नेता और पत्रकार

ट्रोलिंग के बाद, IAS और IPS एसोसिएशन, कई वरिष्ठ नौकरशाहों, नेताओं और पत्रकारों ने विक्रम मिश्री और उनके परिवार के पक्ष में आवाज़ उठाई। IAS एसोसिएशन ने कहा, "कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करने वाले अधिकारियों पर इस तरह के व्यक्तिगत हमले निंदनीय हैं।"

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IPS (सेंट्रल) एसोसिएशन ने भी कड़ा विरोध जताया: "एक समर्पित अधिकारी और उसके परिवार पर हुए हमले असहनीय हैं।"

सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सचिन पायलट, गौरव गोगोई जैसे नेताओं ने भी यह स्पष्ट किया कि मिश्री ने वही कहा जो सरकार ने तय किया था।

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आज जब एक अफसर अपने कर्तव्य का पालन करता है और उसके लिए उसकी बेटी को अपमानित किया जाता है, तो यह सिर्फ़ सोशल मीडिया की समस्या नहीं है  यह हमारे समाज की सोच की समस्या है। यह दर्शाता है कि हम महिलाओं को अब भी उनके पुरुष रिश्तेदारों के आईने से देखते हैं।

Foreign Secretary Vikram Misri