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From NCC to Siachen: The Journey of Capt. Supreetha CT: महिला सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी गई है। मायसूर की रहने वाली कैप्टन सुप्रीथा सीटी ने इतिहास रच दिया है। वह सेना की वायु रक्षा कोर की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात किया गया है। कैप्टन सुप्रीथा ने साबित कर दिया है कि हौसले बुलंद हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
मायसूर की बेटी कैप्टन सुप्रीथा सीटी बनीं सियाचिन की पहली महिला अधिकारी
कैप्टन सुप्रीथा सीटी कौन हैं?
कर्नाटक के मायसूर जिले की रहने वाली कैप्टन सुप्रीथा ने अपनी स्कूली शिक्षा कृष्णराजानगर के सेंट जोसेफ स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने मायसूर में मारिमल्लापा के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से पढ़ाई की और जेएसएस लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की। उनके पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की भी डिग्री है।
कैप्टन सुप्रीथा ने बताया कि उनके परिवार की सिविल सेवा में पृष्ठभूमि ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनके पिता थिरुमलेश मायसूर के पास तालकाडु में पुलिस उप-निरीक्षक हैं, जबकि उनकी मां निर्मला गृहिणी हैं। स्कूल में, कैप्टन सुप्रीथा ने कई एथलेटिक स्पर्धाओं में भाग लिया और एनसीसी ज्वाइन की।
NCC से सेना तक का सफर
कैप्टन सुप्रीथा ने अपनी शिक्षा पूरी करते हुए एनसीसी एयर विंग का 'सी' सर्टिफिकेट हासिल किया। उन्होंने दिल्ली के कर्तव्य पथ (राजपथ) पर गणतंत्र दिवस परेड में कर्नाटक-गोवा दल का प्रतिनिधित्व किया और नेतृत्व किया। साल 2016 में, कैप्टन सुप्रीथा ने अखिल भारतीय वायु सेना कैंप में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व किया।
साल 2021 में, कैप्टन सुप्रीथा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल हुईं और चेन्नई के ओटीए में सियाचिन के लिए अपनी तैयारी की। उन्हें प्रशिक्षण के लिए अनंतनाग, जबलपुर और लेह जैसे रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया। गणतंत्र दिवस 2024 पर, उन्होंने और उनके पति, मेजर जेरी ब्लेज़ ने कर्तव्य पथ पर पहला युगल बनकर इतिहास रचा।
सियाचिन की बुलंदी पर महिला का परचम
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कैप्टन सुप्रीथा सीटी की सियाचिन ग्लेशियर में ऐतिहासिक तैनाती 18 जुलाई को हुई। हिमालय की पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण युद्धक्षेत्रों में से एक है, जहां तापमान अक्सर -50 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
कैप्टन सुप्रीथा के इस साहसिक कदम ने न सिर्फ महिला सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयां दी हैं बल्कि देश के लिए भी एक नई मिसाल कायम की है।