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इस कोरोना महामारी ने हमसे बहुत कुछ छीना है। किसी के घर के एक लौटा कमाने वाला आदमी नहीं रहा और तो कोई बच्चा अपने माँ बाप दोनों को खो कर बैठा है। छोटे बच्चों पर कोरोना महामारी का सबसे बुरा असर पढ़ा है। इनकी पढाई छूटी है इन पर मेंटली इस बीमारी का चरों तरफ परिस्तिथि देखने के कारण गहरा असर पढ़ा है। ये बच्ची मुंबई की रहने वाली है और वहीँ के मार्किट में मछली बेचती है। ब च्ची मछली बेच रही
वैषणवी खरतमोल एक 11 साल की बच्ची है जिस ने कोरोना के चलते अपने पिता को पिछले साल खो दिया था। बच्ची की माँ हाउस वाइफ थीं लेकिन जब घर पर कोई कमाने वाला नहीं बचा तो ये बाहर आकर मछली बेचने लगीं। इस छोटी बच्ची को भी समझ आ गया कि अब पिता के न होने से माँ को बाहर जाना पढ़ा जिसके बारे उन्हें कोई एक्सपीरियंस नहीं है।
कोरोना के चलते बहुत से लोगों ने अपने करीबी लोगों को खो दिया है। कोई अनाथ हो गया है तो किसी का आखिरी सहारा चला गया है। ऐसे में अगर आपका ऐसा कोई है जिसने किसी अपने को खोया है तो उनसे बात करें और उनकी बात सुनें। भले ही इंसान ऊपर से नार्मल दिखता है लेकिन वो अंदर से नार्मल नहीं होता है।
हम नहीं जानते सामने वाला किस दौर से गुज़र रहा है या उस पर क्या बीत रही है। ऐसी सिचुएशन में बस हम थोड़े अलर्ट रह सकते हैं और सपोर्ट बन सकते हैं। सोशल मीडिया के ज़माने में हमें हर चीज़ प्रूफ करने किए आदत हो गयी है। अगर वैक्सीन लगवाई है तो उसकी फोटो डालेंगे, किसी को मिस कर रहे हैं तो उसकी फोटो डालेंगे।
जैसे कि अभी फादर्स डे आया था और सभी ने अपने अपने फादर, पापा और पिता के साथ फोटोज डालीं और सभी जगह पोस्ट कीं। कोरोना के चलते ऐसे हज़ारों और लाखों लोग हैं, बच्चे हैं जो अपने माता पिता को खो चुके हैं। जब वो बच्चे बार बार सभी बच्चों के पिता और पेरेंट्स देखते हैं तो उन्हें बार बार वो चीज़ ट्रिगर होती है।
क्या है 11 साल की मछली बेचने वाली बच्ची की कहानी ?
वैषणवी खरतमोल एक 11 साल की बच्ची है जिस ने कोरोना के चलते अपने पिता को पिछले साल खो दिया था। बच्ची की माँ हाउस वाइफ थीं लेकिन जब घर पर कोई कमाने वाला नहीं बचा तो ये बाहर आकर मछली बेचने लगीं। इस छोटी बच्ची को भी समझ आ गया कि अब पिता के न होने से माँ को बाहर जाना पढ़ा जिसके बारे उन्हें कोई एक्सपीरियंस नहीं है।
कोरोना क्व वक़्त में हम कैसे एक दूसरे की मदद कर सकते हैं ?
कोरोना के चलते बहुत से लोगों ने अपने करीबी लोगों को खो दिया है। कोई अनाथ हो गया है तो किसी का आखिरी सहारा चला गया है। ऐसे में अगर आपका ऐसा कोई है जिसने किसी अपने को खोया है तो उनसे बात करें और उनकी बात सुनें। भले ही इंसान ऊपर से नार्मल दिखता है लेकिन वो अंदर से नार्मल नहीं होता है।
सोशल मीडिया का सहारा लें
हम नहीं जानते सामने वाला किस दौर से गुज़र रहा है या उस पर क्या बीत रही है। ऐसी सिचुएशन में बस हम थोड़े अलर्ट रह सकते हैं और सपोर्ट बन सकते हैं। सोशल मीडिया के ज़माने में हमें हर चीज़ प्रूफ करने किए आदत हो गयी है। अगर वैक्सीन लगवाई है तो उसकी फोटो डालेंगे, किसी को मिस कर रहे हैं तो उसकी फोटो डालेंगे।
जैसे कि अभी फादर्स डे आया था और सभी ने अपने अपने फादर, पापा और पिता के साथ फोटोज डालीं और सभी जगह पोस्ट कीं। कोरोना के चलते ऐसे हज़ारों और लाखों लोग हैं, बच्चे हैं जो अपने माता पिता को खो चुके हैं। जब वो बच्चे बार बार सभी बच्चों के पिता और पेरेंट्स देखते हैं तो उन्हें बार बार वो चीज़ ट्रिगर होती है।