भूपेन हजारिका जी का जन्म 8 सितंबर 1926 को भारत के राज्य असम में हुआ था। हजारिका जी एक बहुत प्रसिद्ध गीतकार, संगीतकार और गायक थे। साथ ही वह अभिनेता और फिल्मनिर्माता भी थे। अपनी मूल भाषा असमिया के अलग भी भूपेन हजारिका बंगला, हिंदी व अन्य कई भाषाओं में गाना गाते थे। भूपेन हमेशा जाति प्रथा के विरोध में रहे।
अपने सात भाई और तीन बहनो में वे सबसे बड़े थे। उन्होंने पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा अपनी माता जी से प्राप्त की थी। सन् 1950 में 23 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ था।
शिक्षा-
उन्होंने बचपन में शिक्षा गुवाहाटी के एक हाईस्कूल से की थी। 1942 में उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया जिसके बाद उन्होने आगे की पढ़ाई विदेश से की। न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय से उन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
सफर -
10 साल की उम्र से ही हजारिका जी ने संगीत शुरू किया था। उन्होंने तब अपना पहला गीत लिखा और उसे गाया भी। 12 वर्ष की आयु मे उन्होंने असमिया फिल्म 'इंद्रमालती' में काम भी किया था। हजारिका जी लगभग 60 साल तक भारतीय संगीत जगत में सक्रिय रहे हैं। फिल्म 'रुदाली' में अपने गीत 'दिल हूं हूं करें ' की बदौलत हजारिका जी हिंदी फिल्म जगत का एक जाना माना नाम बन गए थे। उनके और भी बहुत से प्रसिद्ध गाने है जैसे- 'गुम सुम', 'मैं और मेरा साया, ' 'हां आवारा हूँ', 'एक कली दो पत्तियां', 'ओ गंगा बहती हो क्यो' आदि। उन्होंने कई फिल्मों भी का भी निर्देशन किया था।
पुरस्कार-
भूपेन हजारिका जी को साल 1992 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, साल 1975 में राष्ट्रीय पुरस्कार, साल 2001 में पद्म भूषण और साल 2009 में असम रत्न और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनको साल 2019 में इन्हे मरणोपरांत भारत के सर्वोत्तम सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
निधन-
लंबे समय से निमोनिया से पीड़ित भूपेन हजारिका जी का निधन 86 वर्ष की उम्र में 5 नवंबर 2011 को मुम्बई के कोकिलाबेन धीरुबाई अंबानी अस्पताल में हुआ।