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Jaipur: महिला जज और सरकारी वकील का मामला पहुंचा कोर्ट

न्यूज़: मालूम हो ऐसे बहुत से मामले आते हैं जिनमें आरोप होता है कि पति परिवार का भरण-पोषण नहीं कर रहा, तलाक चाहिए, घरेलू हिंसा और पति का पत्नि पर अत्याचार आदि। ऐसे मामले सामान्यजन से आते रहते हैं। लेकिन ये मामला अलग है।

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Prabha Joshi
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न्याय

जयपुर में एक नया मामला आया सामने

Jaipur: जब न्याय दिलाने वाले पर ही संकट आ जाए तब क्या होगा? राजस्थान के जयपुर से ऐसा ही एक मामला सामने आ रहा है जिसमें पीड़ित पक्ष एक महिला जज है वहीं आरोपी सरकारी वकील। इस मामले में दोनों ही पक्ष पति-पत्नि हैं जिनकी शादी-शुदा जिंदगी में अड़चने हैं। 

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मालूम हो ऐसे बहुत से मामले आते हैं जिनमें आरोप होता है कि पति परिवार का भरण-पोषण नहीं कर रहा, तलाक चाहिए, घरेलू हिंसा और पति का पत्नि पर अत्याचार आदि। ऐसे मामले सामान्यजन से आते रहते हैं। लेकिन इस मामले में खुद न्याय दिलाने वाला और न्याय की सुरक्षा करने वाला ही पीड़ित और आरोपी है। 

क्या है मामला 

दरअसल राजस्थान के जयपुर के फैमिली कोर्ट से एक मामला सामने आ रहा है। इसमें पीड़ित पक्ष एक महिला है जो जज है और अच्छे वेतन पर है वहीं उसका पति सरकारी वकील है जिसकी तनख्वाह उससे कम है। पीड़ित महिला जज और आरोपी पति की शादी साल 2007 में हुई। दोनों की साल 2010 में एक बेटी हुई तो साल 2015 में एक बेटा। पत्नि का आरोप है कि उसके पति ने कभी भी उसके बच्चों और उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और न ही किसी तरह की परिवार के प्रति जिम्मेदारी उठाई। पत्नि का इसके साथ ही कहना है कि शादी के दौरान उसके पति की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। उस दौरान भी उसी ने अपने पति की मदद की जिसके चलते उसके पति को सहायक अभियोजन अधिकारी पद के तहत कार्य मिला। ऐसे में पत्नि की मांग है कि ऐसे में उसे भरण-पोषण दिलाया जाए। 

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दूसरे पक्ष का क्या है कहना 

वहीं उसके पति के वकील का कहना है कि शिकायतकर्ता का वेतन अपने पति के वेतन से कहीं ज्यादा है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता खुद बच्चों और अपना भरण-पोषण अच्छे से कर सकती है। ऐसे में किसी भी तरह का शिकायतकर्ता का प्रार्थना पत्र खारिज हो। 

शिकायतकर्ता का वेतन ही 2 लाख रुपए से ज्यादा है, जबकि उसके पति का वेतन मात्र 75 हजार रुपए है। शिकायतकर्ता पत्नी ने खुद ही तलाक का प्रार्थना पत्र दायर कर रखा है। वह खुद बच्चों का भरण-पोषण करने में सक्षम है। इस लिहाज से प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए। —डीएस शेखावत, अधिवक्ता

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क्या रहा कोर्ट का फैसला

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट पीठासीन अधिकारी अरुण कुमार दुबे ने पति को बच्चों के लिए भरण-पोषण देने के लिए आदेश दिया। इसके लिए पति को 12 हजार रुपए प्रति बच्चा, हर महीना भरण-पोषण की रकम तय की। ये रकम कोर्ट ने 20 दिसंबर 2021 से देने के निर्देश दिए हैं।

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