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हाथरस धार्मिक कार्यक्रम भगदड़: 120 से अधिक मृत, जानें घटनाक्रम और जरूरी जानकारी

हाथरस में धार्मिक सभा के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई। घटना की जांच जारी है। जानिए पूरा घटनाक्रम, मृतकों की संख्या और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम

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Vaishali Garg
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Hathras Religious Event Stampede

Hathras Religious Event Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक सभा एक भयानक हादसे में बदल गई, जहां सैकड़ों श्रद्धालु भगदड़ में मारे गए। हाल के वर्षों में हुई सबसे खराब दुर्घटनाओं में से एक मानी जाने वाली इस घटना में युवा बच्चों सहित 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।  

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हाथरस धार्मिक कार्यक्रम भगदड़: 120 से अधिक मृत, जानें घटनाक्रम और जरूरी जानकारी

भगदड़ कैसे मची?

2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग (धार्मिक सभा) का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के समापन के समय जब लोग वापस लौट रहे थे, तब अचानक धूल भरी आंधी आ गई। इससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ हो गई। भगदड़ में कई लोग दबने से घायल हो गए और कुछ नालियों में गिर गए। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई।

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मरने वालों की संख्या 120 से अधिक

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि भगदड़ के पीछे एक कारण अत्यधिक भीड़ होना था। श्रद्धालु स्वयंभू धर्मगुरु 'भोले बाबा' की गाड़ी के पीछे दौड़ रहे थे, जबकि कुछ लोग कार्यक्रम स्थल से मिट्टी इकट्ठा करने के लिए झुके और गिर गए। इससे लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और यह हादसा हुआ।

राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार, भगदड़ में बच्चों सहित 121 लोगों की जान चली गई है। हाथरस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. मंजीत सिंह ने बताया कि 32 शव यहां लाए गए थे, जिनमें से 19 की पहचान कर ली गई है। उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, "हम बाकी लोगों की पहचान कर रहे हैं..."।

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अलीगढ़ में करीब 23 शव ले जाए गए और कुल तीन घायलों का इलाज चल रहा है। जिलाधिकारी विशाख जी. अय्यर ने बताया कि घायलों में से एक की हालत गंभीर है। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने बताया कि हादसे में मारे गए ज्यादातर लोग महिलाएं और बच्चे थे।

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प्राथमिकी (FIR) दर्ज 

पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 105 (जानलेवा हमला), 110 (जानलेवा हमला करने का प्रयास), 126 (2) (गैरकानूनी रोक), 223 (सरकारी सेवक द्वारा विधिवत घोषित आदेश की अवहेलना), 238 (सबूत गायब करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पीटीआई के अनुसार, सिकंदराराव पुलिस स्टेशन में मंगलवार देर रात दर्ज प्राथमिकी (FIR) में 'मुख्य सेवक' देव प्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के नाम शामिल हैं। कार्यक्रम स्थल में लगभग 2.5 लाख श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया, जबकि अनुमति केवल 80,000 को ही थी।

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धर्मगुरु भोले बाबा को प्राथमिकी में नामजद नहीं किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि आगरा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और अलीगढ़ के मंडलायुक्त इस घटना की जांच करने वाली टीम का हिस्सा हैं। टीम को 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

भोले बाबा फरार

स्वयंभू बाबा नारायण हरि, जिन्हें सांकर विश्व हरि भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है, घटना के बाद से फरार हैं। पीटीआई को बताया गया कि "हमें बाबा जी कैंपस के अंदर नहीं मिले...वह यहां नहीं हैं..."।

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भोले बाबा का विवादित अतीत

खबरों के मुताबिक, भोले बाबा उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिसकर्मी हैं, जिन्होंने 18 साल तक स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) में काम किया था। उन्होंने अध्यात्म के क्षेत्र में जाने के लिए 1990 में इटावा से स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली थी। बताया जाता है कि उनकी खासकर एटा-कासगंज और ब्रज क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी घटना

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हाथरस में हुई भगदड़ ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी हैं और दुनिया भर के लोग जानमाल के नुकसान पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। जर्मनी, फ्रांस, चीन और इजरायल सहित कई देशों के राजनयिकों ने भी पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की हैं।

सवालों के घेरे में व्यवस्था

इस घटना ने व्यवस्था संबंधी सवालों को भी खड़ा कर दिया है। इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्या इंतजाम किए गए थे? क्या सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त थे? कार्यक्रम स्थल पर इतनी अधिक संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति कैसे दी गई?

हाथरस प्रशासन को इन सवालों के जवाब देने होंगे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों।

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