Herbal Gulal: इस बार भी होली में हर्बल गुलाल के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पहले से ही होली में केमिकल से बने गुलाल का प्रयोग किया जाता रहा, पर पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार का प्रयास रहा है कि हर्बल गुलाल का प्रयोग हो। इसके लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी कड़ी में गोधन न्याय योजना की शुरुआता की।
पर्यावरण संरक्षण में दे रहीं योगदान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गोधन न्याय योजना के बाद से लोगों ने होली में हर्बल गुलाल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। गोधन न्याय योजना से जुड़ी महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह की मदद से हर्बल गुलाल का उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके साथ ही वो वर्मी कंपोस्ट भी तैयार कर रही हैं। ये महिलाएं अपने कार्य के जरिए पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी-बूटी का हो रहा प्रयोग
महिलाओं की मानें तो हर्बल गुलाल के उत्पादन में पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी-बूटी और फूलों जैसे प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग किया जा रहा है। इन सब तत्वों से ही बिना किसी केमिकल के प्रयोग के हर्बल गुलाल का उत्पादन किया जा रहा है। इसके साथ ही मंदिरों और फूलों के बाज़ार से प्राप्त पूराने सूखे फूलों की पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार हो रहा है। हर्बल गुलाल की इस प्रोसिस में ऊपर बताई चीज़ें ही नहीं चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां का प्रयोग भी किया जा रहा है।
पिछले वर्ष 50 किलो था उत्पादन
बता दें पिछले वर्ष हर्बल गुलाल की बहुत मांग आई थी। बिहान समूह की ये महिलाओं इस बार भी बढ़ती मांग को देखते हुए लगातार अपने उत्पादन कार्य में लगी हुई हैं। महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत डोगरपाली की जयमाता दी समूह की श्रीमती अम्बिका साहू की मानें तो पिछले वर्ष उन्होंने होली में 50 किलो हर्बल गुलाल का उत्पादन किया था और सारा गुलाल बिक गया। इसी को देखते हुए इस वर्ष होली के मद्देनज़र हर्बल गुलाल का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।
हर्बल गुलाल के उत्पादन से न केवल पर्यावरण संरक्षण हो रहा है बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर नहीं पड़ रहा। इसके साथ ही ग्रामीण महिलाओं के लिए हर्बल गुलाल का उत्पादन आजीविका का एक अच्छा माध्यम बन रहा है। महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।