हिलांग याजिक बनीं पहली अरुणाचली महिला बॉडीबिल्डर जिन्‍होंने जीता अंतरराष्ट्रीय गोल्ड

अरुणाचल प्रदेश की हिलांग याजिक ने 15वीं साउथ एशियन बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2025 में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।

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Shivalika Srivastava
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Hillang Yajik

Image: Hillang Yajik Instagram

अरुणाचल प्रदेश की हिलांग याजिक ने 15वीं साउथ एशियन बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2025 में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। 25 वर्षीय याजिक ने भूटान के थिम्फू में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भारत का परचम लहराया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली राज्य की पहली महिला बॉडीबिल्डर बन गईं।

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हिलांग याजिक बनीं पहली अरुणाचली महिला बॉडीबिल्डर जिन्‍होंने जीता अंतरराष्ट्रीय गोल्ड

कौन हैं हिलांग याजिक?

अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले में जन्मीं हिलांग याजिक का सपना कभी पुलिस अधिकारी बनने का था। लेकिन किस्मत ने उन्हें एक अलग राह दिखाई। शौकिया तौर पर शुरू किया गया बॉडीबिल्डिंग का सफर, जल्द ही जुनून में बदल गया। 2022 में गंगटोक, सिक्किम में हुए फेडरेशन कप में उन्होंने पहली बार प्रतिस्पर्धा की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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याजिक अब तक मिस फिटनेस अरुणाचल प्रदेश में चार गोल्ड मेडल, फेडरेशन कप नेशनल चैंपियनशिप 2024 में सिल्वर मेडल समेत कई अन्य खिताब जीत चुकी हैं। वह न केवल एक बॉडीबिल्डर हैं, बल्कि एक फिटनेस ट्रेनर और डांस इंस्ट्रक्टर भी हैं। उन्होंने राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की है।

राज्य और देश को दिलाया गर्व

हिलांग याजिक की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोशल मीडिया पर बधाई देते हुए लिखा, “आपकी मेहनत, अनुशासन और समर्पण ने अरुणाचल और देश के लिए गौरव का एक नया अध्याय रचा है। आपको और ताकत मिले, हिलांग!”

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अगला लक्ष्य: एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप

NDTV से बातचीत में याजिक ने कहा, “ये मेडल मेरे राज्य के लिए बहुत मायने रखते हैं क्योंकि महिला बॉडीबिल्डिंग यहां ज़्यादा प्रसिद्ध नहीं है। मेरा अगला लक्ष्य एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतना है, और मैं देश के लिए और गौरव लाना चाहती हूं।” उनकी इस उपलब्धि पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि देश को उन पर गर्व है।

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एक प्रेरणा, एक मिसाल

हिलांग याजिक का सफर सिर्फ मेडल जीतने का नहीं है, बल्कि यह उस जुनून और आत्मविश्वास की कहानी है जो सीमाओं और बाधाओं को पार करता है। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंच बड़ा नहीं होता।