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हिमाचल में सामाजिक कलंक के कारण महिलाएं नहीं करा रहीं नशे का इलाज

हैल्थ | न्यूज़ : हिमाचल प्रदेश में आंकड़ों के अनुसार ये बात सामने आई है कि 2022 के आंकड़ों की मानें तो 1000 पुरुषों में 10 महिलाओं ने इलाज के लिए पंजीकरण कराया। इसमें केवल 600 पुरुष और 2 महिलाएं ने ही फॉलोअप कराया। 

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Prabha Joshi
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हिमाचल प्रदेश खबर

आईजीएमसी (Image Credit: Amar Ujala)

Himachal News: हिमाचल प्रदेश से नशे को लेकर नई खबर सामने आ रही है। हिमाचल प्रदेश में नशे की लत में रह रही महिलाएं इलाज के लिए नहीं आ रही हैं। ये पाया गया है कि पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं जो लत को छुड़वाने के लिए अस्पताल तो आते हैं पर फॉलोअप नहीं लेते और बीच में ही इलाज को छोड़ देते हैं। बताया जा रहा है कि महिलाओं में ऐसा सामाजिक कलंक से बचने के चलते हो रहा है। 

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मालूम हो नशा जीवन संकट से जुड़ी समस्या है। नशे को लेकर सरकारें बहुत से कदम उठा रही हैं। आए-दिन छापे मारे जा रहे हैं। नशा की एक बार लत लग जाने पर उसे छुड़ाने में लगातार इलाज के लिए फॉलोअप करना होता है। फॉलोअप न करने से स्थिति और बिगड़ जाती है। नशे की लत नहीं छूटती। 

क्या है मामला 

हिमाचल प्रदेश के आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. दिनेश दत्त शर्मा और सहायक प्रोफेसर डॉ. निधि शर्मा के आंकड़ों के अनुसार ये बात सामने आई है। 2022 के आंकड़ों की मानें तो 1000 पुरुषों में 10 महिलाओं ने इलाज के लिए पंजीकरण कराया। इसमें केवल 600 पुरुष और 2 महिलाएं ने ही फॉलोअप कराया। 

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खबर के अनुसार महिलाएं चिट्टा नशा को लेकर इलाज के लिए आती हैं। हिमाचल प्रदेश में चिट्टा के साथ-साथ अन्य नशे भी चलते हैं। इसमें ज्यादातर मामले ऐसे होते हैं जिनमें बच्चों के माता-पिता या कोई एक नशे में लिप्त होता है जिससे बच्चे भी प्रभावित होते हैं। वहीं पाया गया है कि चिट्टा और अन्य नशा से सभी वर्ग प्रभावित हैं चाहें महिलाएं हो यां पुरुष, लड़के हों या लड़कियां। ये बात सामने आई है कि महिलाएं इसलिए नहीं इलाज के लिए आती कि उन्हें सामाजिक कलंक का भय होता है। 

क्या है चिट्टा

https://inhimachal.in/ की मानें तो पंजाबी और उसकी उपभाषाओं में चिट्टा का अर्थ है सफेद। हेरोइन, जिसे नशे के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है, का रंग सफेद होने के चलते इसे चिट्टा कहा जाता था। लेकिन क्योंकि अब बहुत से सिंथेटिक ड्रग्स जैसे MDMA, LSD और मेथाम्फेटामीन आदि सफेद रंग में हैं, ऐसे में इन्हें भी चिट्टा कहा जाने लगा है। 

वहीं जो गंभीर बात है वो फॉलोअप न कराना है। मालूम हो फॉलोअप न कराने से नशा की समस्या लगातार बनी हुई है क्योंकि नशे की लत छूट नहीं रही है। 

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