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पुरुष अभी भी महिलाओ को एक डिजायर के ऑब्जेक्ट के रूप में देखते हैं ये कहना था इरफान खान का ठीक उनके इंडो फ्रेंच हिंदी ड्रामा " सांग ऑफ स्कॉर्पियंस" में उनकी परफ़ॉर्मेन्स के बाद। ये ड्रामा बेस्ड था एक लड़की नूरन के इर्द गिर्द जो सोसाइटी के बंधनों में और उसकी सोच में नही फंसना चाहती थी। इसमे इरफान ने भले ही डार्क रोल निभाया हो उस लड़की के पति का जो अपनी पत्नी को प्यार करता था और उसी की लाइफ को कंट्रोल करता था। लेकिन इसके बाद इरफान सेक्सिसम और महिलाओ पर अपने व्यूज को और मजबूती के साथ रखते हुए दिखाई दिये।
इरफान ने गल्फ टाइम्स में इंटरव्यू देते हुए कहा कि सिनेमा में सोसाइटी को बदलने की ताकत होती है पर ये करने में बॉलीवुड असफल रहा है। वो कहते हैं इंटेरनेट पर लोग इतना कुछ देखते हैं और भले ही हमारी सोसाइटी सेक्सुअली रिप्रेसड है तब भी पुरुष महिलाओ को ऑब्जेक्टिफ़ाय करते ही हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओ के प्रति हिंसा बढ़ेगी जब तक हम उन्हें वैसे एक्सेप्ट नही करते जैसे कि वो हैं। हमें लोगो को बात करके समझाना होगा कि हम महिलाओ के बिना अधूरे हैं और पुरुषों को ये समझना होगा। इरफान कहते हैं कि दोनों जेंडर आपस मे कंपीट करने के लिए नही बने हैं। हर जेंडर की एक स्पेशलिटी होती है और दोनों में से कोई ज़्यादा शक्तिशाली या कमज़ोर नही है।
वो एकमात्र स्टार थे जिन्होंने महिलाओ की स्थिति के बारे में आवाज़ उठाई थी। अभिनेता इरफ़ान खान ने २९ अप्रैल को दुनिया को अलविदा कहा। 54 साल के इस छोटे से सफर में उन्होंने यह साबित कर दिया की कामयाबी और मेहनत किसी की मोहताज नहीं होती । उनके जाने के बाद उनकी पत्नी सुतापा सिकदर ने एक बहुत ही इमोशनल नोट सोशल मीडिया पर शेयर किया । उनका कहना था की “मैंने कुछ खोया नहीं है बल्कि पाया है ।“
महिलाओं की ओब्जेक्टिफिकेशन पर बोले इरफ़ान
इरफान ने गल्फ टाइम्स में इंटरव्यू देते हुए कहा कि सिनेमा में सोसाइटी को बदलने की ताकत होती है पर ये करने में बॉलीवुड असफल रहा है। वो कहते हैं इंटेरनेट पर लोग इतना कुछ देखते हैं और भले ही हमारी सोसाइटी सेक्सुअली रिप्रेसड है तब भी पुरुष महिलाओ को ऑब्जेक्टिफ़ाय करते ही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पुरुषों को समझना होगा कि वो महिलाओं के रोल के बिना अधूरे हैं। दोनो जेंडर को कम्पेयर करना मुश्किल है। दोनों जेंडर का अपना मैजिक होता है.
उन्होंने कहा कि महिलाओ के प्रति हिंसा बढ़ेगी जब तक हम उन्हें वैसे एक्सेप्ट नही करते जैसे कि वो हैं। हमें लोगो को बात करके समझाना होगा कि हम महिलाओ के बिना अधूरे हैं और पुरुषों को ये समझना होगा। इरफान कहते हैं कि दोनों जेंडर आपस मे कंपीट करने के लिए नही बने हैं। हर जेंडर की एक स्पेशलिटी होती है और दोनों में से कोई ज़्यादा शक्तिशाली या कमज़ोर नही है।
निधन
वो एकमात्र स्टार थे जिन्होंने महिलाओ की स्थिति के बारे में आवाज़ उठाई थी। अभिनेता इरफ़ान खान ने २९ अप्रैल को दुनिया को अलविदा कहा। 54 साल के इस छोटे से सफर में उन्होंने यह साबित कर दिया की कामयाबी और मेहनत किसी की मोहताज नहीं होती । उनके जाने के बाद उनकी पत्नी सुतापा सिकदर ने एक बहुत ही इमोशनल नोट सोशल मीडिया पर शेयर किया । उनका कहना था की “मैंने कुछ खोया नहीं है बल्कि पाया है ।“