IAS अधिकारी दिव्या मित्तल ने मातृत्व की चुनौतियों पर की खुलकर बात, पोस्ट हुई वायरल

IAS अधिकारी दिव्या मित्तल ने मातृत्व की कठिनाइयों और बेटियों की परवरिश को लेकर भावुक पोस्ट साझा की, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी

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Vaishali Garg
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IAS अधिकारी दिव्या मित्तल

IAS Divya Mittal’s Honest Take on Motherhood Challenges Goes Viral: IAS अधिकारी दिव्या मित्तल, जो IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ी हैं, ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मातृत्व की चुनौतियों को लेकर एक भावुक पोस्ट साझा किया। उन्होंने लिखा, "मैं एक IAS अधिकारी हूं। मैंने IIT और IIM से पढ़ाई की है। मैंने यह सब हासिल करने के लिए संघर्ष किया, लेकिन माँ बनने की चुनौतियों के लिए कुछ भी मुझे तैयार नहीं कर सका।"

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उनकी इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी और लाखों लोग उनकी भावनाओं से जुड़ते नजर आए।

मातृत्व की चुनौतियाँ: IAS दिव्या मित्तल का ईमानदार स्वीकारोक्ति

दिव्या मित्तल, जो दो बेटियों की माँ हैं, ने अपने पोस्ट में उन भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों पर खुलकर बात की, जिनका सामना हर माँ को करना पड़ता है।

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उन्होंने लिखा, "मेरी बड़ी बेटी 8 साल की है। इस उम्र में ही दुनिया उसकी आवाज को दबाने की कोशिश करती है। हम ऐसा नहीं होने दे सकते।"उन्होंने बताया कि कैसे वे अपने करियर और मातृत्व के बीच संतुलन बनाती हैं। "कई रातों को मैं रोती हूँ—थकान से चूर, खुद को टूटा हुआ महसूस करती हूँ। लेकिन फिर मेरी बेटी मुझे गले लगाकर कहती है, ‘आप मेरी हीरो हैं।’" उनका कहना है कि बच्चों को गिरने और फिर खुद उठने देना जरूरी है। माता-पिता का काम उन्हें सहारा देना है, न कि हर मुश्किल से बचाना।

"मेरा काम मुझे सिखाता है कि ताकत चिल्लाने में नहीं होती, बल्कि यह निरंतर बनी रहने वाली शक्ति होती है। माँ को बच्ची का सहारा बनना चाहिए, उसकी बैसाखी नहीं।"

माँ होने का अपराधबोध: क्या मैं पर्याप्त हूँ?

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हर माँ के मन में यह सवाल आता है "क्या मैं अच्छी माँ हूँ?"इस पर दिव्या मित्तल लिखती हैं,"माँ बनना अपराधबोध से भरा होता है। क्या मैं पर्याप्त हूँ? क्या मैं गलतियाँ कर रही हूँ? लेकिन याद रखिए आप अपनी तरह से अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी दुनिया बना रही हैं। "उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों के सामने मजबूत उदाहरण पेश करना चाहिए। "अगर आपने हार मान ली, तो आप अपनी बेटी से उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वह संघर्ष करे?"उन्होंने कई माता-पिता की एक आम समस्या पर भी बात की "अगर आपके दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो आपकी जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है।"

मित्तल का मानना है कि केवल प्यार ही नहीं, बल्कि न्याय भी जरूरी है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि माता-पिता जो निर्णय लेते हैं, वे क्यों लेते हैं, क्योंकि इससे उनका दृष्टिकोण बनता है।

बेटियों की परवरिश: उन्हें आत्मनिर्भर बनाना जरूरी

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मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि लड़कियों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने लिखा, "उसे महानता हासिल करने के लिए पुरुष बनने की जरूरत नहीं है। उसे खुद से सच्चा रहना सिखाइए। उसकी भावनाएँ उसकी ताकत हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियों को यह सिखाना चाहिए कि लोकप्रियता जरूरी नहीं होती। "जीवन कोई लोकप्रियता प्रतियोगिता नहीं है। उसे पसंद किया जाना जरूरी नहीं है, बल्कि सम्मान मिलना जरूरी है। उसकी कीमत दूसरों की स्वीकृति में नहीं, बल्कि खुद की नजर में है।"

मित्तल ने माता-पिता को याद दिलाया कि वे अपनी बेटियों की सफलता और असफलता दोनों के गवाह हैं, और उन्हें अपनी बेटियों पर भरोसा रखना चाहिए। "हम उनके सफर का हिस्सा बनने के लिए भाग्यशाली हैं। उसकी असफलताएँ, उसकी खुशियाँ, उसकी उपलब्धियाँ सबका आनंद लीजिए। उस पर भरोसा कीजिए, वह आपको चौंका देगी कि वह क्या कर सकती है"

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बच्चों के लिए साइंटिफिक टेम्पर और क्रिटिकल थिंकिंग जरूरी

दिव्या मित्तल ने सिर्फ माता-पिता की भावनात्मक जिम्मेदारियों पर ही नहीं, बल्कि बच्चों के बौद्धिक विकास पर भी ध्यान देने की बात कही। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी बेटियों के लिए कई रोचक वैज्ञानिक प्रयोगों की एक सूची बनाई, जिससे वे खेल-खेल में विज्ञान सीख सकें।

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उनके पोस्ट में शामिल कुछ प्रयोग थे—

ह्यूमन सनडायल बनाना - जिससे बच्चे पृथ्वी के घूमने की प्रक्रिया को समझें।

सिंक और फ्लोट एक्सपेरिमेंट - जिससे बच्चे घनत्व और तरल पदार्थों के गुणों को समझ सकें।

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मित्तल का मानना है कि बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करना बेहद जरूरी है। " डिग्रेी से ज्यादा जीवन में ज़रूरी है आलोचनात्मक सोच, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जिज्ञासु मन।" उनकी इस पहल को सोशल मीडिया पर जबरदस्त सराहना मिली। उनके पोस्ट को 767K से ज्यादा व्यूज़, 6,438 लाइक्स और हजारों रीपोस्ट मिले।

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया

मित्तल की पोस्ट पर लोगों ने खूब प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने लिखा "बच्चों के दिमाग को सही दिशा में प्रभावित करना और उन्हें समाधानकर्ता बनाना सबसे महत्वपूर्ण काम है। आप हर माता-पिता के लिए प्रेरणा हैं!"

दूसरे यूजर ने लिखा "यह शानदार प्रयोग हैं! हमें स्कूलों में भी ऐसे ही सीखने के तरीकों को अपनाना चाहिए।"

IAS दिव्या मित्तल की पोस्ट हर माँ और हर माता-पिता के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने न केवल मातृत्व की कठिनाइयों को खुलकर स्वीकार किया, बल्कि समाधान भी बताए।

मातृत्व आसान नहीं होता, लेकिन सही दिशा में परवरिश देकर हम अपने बच्चों को आत्मनिर्भर, मजबूत और जिज्ञासु बना सकते हैं।