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छपाक फिल्म ने इन ज़रूरी मुद्दों पर बात की

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Swati Bundela
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10 जनवरी 2020 को रिलीज़ हुई फ़िल्म छपाक लाखों महिलाओं को जीने की प्रेरणा देती है| मेघना गुलज़ार के डायरेक्शन में बनी फिल्म छपाक 19 वर्ष की लक्ष्मी अग्रवाल की असल कहानी है| छपाक में दीपिका को मुख्य किरदार मालती के रुप में दिखाया गया ह जो एसिड अटैक से पीड़ित है| इसमें दर्शाया गया है के कैसे एक एसिड ऐटैक पीड़ित महिला अपने जीवन को वापस ठीक राह पर लाती है|

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छपाक फिल्म में काफ़ी ऐसे सीन है जो इस समाज की सच्चाई को दर्शाती है और इस फिल्म से कई बाते हमें सीखने को मिलती है:-

- पुरुष प्रधान देश और महिलाओं की स्तिथि

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मालती पर एसिड अटैक हुआ सिर्फ इस वजह से के उसने एक लड़के को शादी के लिए इंकार कर दीया और यह बात उस लड़के को नागवार गुजरी| बदला लेने के लिए उसने मालती पर एसिड अटैक करवाया| यह बर्ताव हमारे देश में चल रहे पुरुष प्रधान मानसिकता को साफ़ - साफ़ दर्शाता है|

- शारीरिक सुंदरता से ज़रूरी आंतरिक सुंदरता होती है

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उस एसिड अटैक ने ना केवल मालती का चेहरा खराब किया बल्कि उसकी पूरी ज़िन्दगी पर प्रभाव डाला| एसिड अटैक के बाद मालती को कई दर्दनाक सर्जरी से गुजरना पड़ा और उसके साथ साथ समाज का भी सामना करना पड़ा| पर इतना सबकुछ होने के बावजूद मालती ने हार नहीं मानी और लोगों के सामने आकर ये साबित किया के ज़िन्दगी जीने के लिए सिर्फ चेहरा ही सबकुछ नहीं होता बल्कि एक आंतरिक सुंदरता और आत्मविश्वास की जरूरत होती है|

- मालती के साथ समाज का व्यवहार

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इस फिल्म में कई तरीकों की भावनाओ को दर्शाया गया| मालती के प्रिवार ने उसका इस परिस्थिति में पूरे तरीके से साथ दिया वहीं दूसरी ओर पढ़ोस में रहने वाले उस बच्चे का डर के चिल्लाना भी दिखाया गया जो मालती को भूत बोल रहा था| इसके साथ - साथ अनमोल जो इस विषय पर समाज में काम करता था, उसने मालती की ज़िन्दगी को नई शुरुआत करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई|

- आसानी से एसिड का मिलना

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यह फ़िल्म एक कड़वी सच्चाई है हमारे समाज की, किस प्रकार इतनी आसानी से एसिड जैसी घातक चीज़े छोटी-मोटी दुकानों से मिल जाती है| और इतनी आसानी से एसिड का मिलना इन जुर्म को बहुत तेज़ी से बढ़ावा दे रहा था|

- शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्या

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मालती एक आम परिवार की थी जिसके परिवार की कमाई और स्थिति ज़ादा अच्छी नहीं थी और इस एसिड अटैक के बाद उसके परिवार की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई| सर्जरी कराने की फीस बहुत ज्यादा थी और दूसरी ओर मालती के इस चेहरे को देखकर कोई भी कंपनी उसे नौकरी नहीं देना चाहती थी| इन सभ बातो ने मालती की राह में कई दिक्कतें लाई पर उसने हार नहीं मानी

- प्यार शकल से नहीं दिल से होता है



फिल्म में जिस प्रकार अमोल ने मालती का साथ दिया और उसे उसके रूप में अपनाया वह सराहनीय था| प्यार सिर्फ शकल देख कर नहीं होता यह बात अमोल ने साबित की|
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