अफ्रीका में रिसर्च के आधार पर, यह भी बताया गया है कि इस इंफेक्शन के रोगियों में 10% की मृत्यु हो गई है।
1. यूरोप में 100 से अधिक केस कन्फर्म होने के बाद, मंकीपॉक्स के फैलने के कारणों पर चर्चा करने के लिए बैठक आयोजित की गई थी।
2. यह संक्रमण अफ्रीका में पाया जाता है, कहा गया है की यह वाइरस एपिडेमिक नहीं है। एपिडेमिक यानि कि एक महामारी नहीं है और कम स्टार पर ही ठीक हो जाएगा।
3. पश्चिम अफ्रीका के रेनफॉरेस्ट में आम, मंकीपॉक्स क्लोज कांटेक्ट से फैलता है और शरीर में फ्लू जैसे लक्षण दिखाता है, जिसमें शरीर में दर्द, बुखार और रशेस होते हैं।
4. अफ्रीका में ऑब्जरवेशन के आधार पर, यह बताया गया है कि यह इन्फेक्शन जिन्हे होती है, उनमे 10 में से 1 व्यक्ति के लिए घातक साबित होता है।
5. अभी तक भारत या किसी अन्य एशियाई देशों में मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है। न्यूज़ है कि, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने लगभग 11 देशों में इस रोग के फैलने की कन्फर्मेशन दी है, जिसमें अभी तक मंकीपॉक्स के लगभग 80 केस दर्ज किए गए हैं।
6. यह ऑउटब्रेक चिंताजनक है क्योंकि ऐसा लगता है कि वायरस उन देशों में फैल रहा है जहां वायरस एंडेमिक नहीं है और पहले कभी यह बीमारी नहीं थी।
7. यह पता चला है कि मंकीपॉक्स के कारण बुखार, सिरदर्द, थकावट और लिम्फ नोड्स में सूजन शुरू हो जाती है। यह धीरे-धीरे मानव शरीर पर रेष और घावों का कारण बनता है, जिनमें ज्यादातर खुजली और जलन होती है।
8. कहा जा रहा है कि इन्फेक्शन लगभग 2-4 सप्ताह तक रहता है। यह भी बताया गया है कि स्माल पॉक्स के वैक्सीन और एंटीवायरल दवाएं इन्फेक्शन को रोकने में मदद करती हैं और 85% मामलों में लक्षणों से शरीर को राहत देती हैं।
9. वर्तमान में, इन्फेक्टेड लोगो के साथ सेक्सुअल एक्टिविटी से फैला है।
10. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के महामारी विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सर पीटर हॉर्बी ने कहा है "हम एक बहुत ही नई स्थिति में हैं, यह आश्चर्य और चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि यह "कोविड-2 नहीं है", पर "हमें सावधान रहने की ज़रूरत है" और यह "कुछ ऐसा है जिससे हम बचना चाहते हैं"।