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Discrimination Against Pregnant Women: इंडियन बैंक ने नहीं किया बदलाव

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प्रेग्नेंट महिलाओं का बैंक सर्विस ज्वाइन करने में उनके साथ भेदभाव किए जाने पर कॉन्ट्रोवर्सी हो रही थी। इस कॉन्ट्रोवर्सी के बीच ही सोमवार को इंडियन बैंक ने यह साफ कर दिया कि प्रेग्नेंट महिलाओं के सर्विस ज्वाइन करने की गाइडलाइंस में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। जो गाइडलाइंस पहले थी आज भी बिल्कुल वैसी ही है।

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प्रेग्नेंट महिलाओं को रोजगार का पूरा अधिकार है। प्रेगनेंसी के पहले 12 हफ्तों तक वे बिना किसी परेशानी के ऑफिस में आकर काम कर सकती हैं। लेकिन 12 हफ्तों के बाद उन्हें बैंक ज्वॉइन करने के लिए एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से अपनी फिटनेस का सर्टिफिकेट लाकर दिखाना होगा।

गाइडलाइन में कोई बदलाव नहीं

मीडिया के कुछ सेक्शन में ऐसा बताया जा रहा है कि बैंक ने कुछ नई गाइडलाइंस बनाई है जो महिलाओं के प्रति भेदभाव करती है। इस मामले में बैंक का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। बैंक की गाइडलाइंस में किसी भी तरह के बदलाव नहीं किए हैं।

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अगर किसी भी कैंडिडेट को प्रेगनेंसी से जुड़ी समय सीमा बढ़ानी है तो बैंक उसके निवेदन की इज्जत करते हुए उस पर काम करेगा।

एंटी- वूमेन गाइडलाइंस के लिए मिला नोटिस

बहुत सारी मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया है कि इंडियन बैंक के द्वारा हाल ही में जारी किया गया सर्कुलर तीन महीने की प्रेग्नेंट महिलाओं को सर्विस जॉइन करने से रोकता है। दिल्ली कमिशन फॉर विमेन की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने इंडियन बैंक को एंटी विमेन गाइडलाइंस जारी करने के लिए एक नोटिस भेजा। यह गाइडलाइंस महिलाओं को आंशिक रुप से अस्वस्थ बताती हैं। स्वाती ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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कमीशन को यह पता चला है कि बैंक ने जो नियम बनाए हैं वह 3 महीने की प्रेग्नेंट महिला को अस्वस्थ घोषित करते हुए उन्हें जोइनिंग की इजाजत नहीं देते। इससे महिला कर्मचारी सर्विस जॉइन करने में लेट हो जाएंगी और अपनी सीनियरिटी खो देंगी। सीनियरिटी को देने वाली इस बात को स्वाति मालीवाल ने आरबीआई गवर्नर शांति कांत दास को लिखे अपने पत्र में लिखा।

कोड ऑफ सोशल सिक्योरिटी, 2020 का उलंघन

बैंक के द्वारा लिया गया यह कदम ' द कोड ऑफ सोशल सिक्योरिटी 2020' के मेटरनिटी फायदो के विपरीत है। और यह लैंगिक भेदभाव करता है जो भारत की संविधान द्वारा सभी नागरिकों को दिए गए मूल अधिकारों के खिलाफ है। 

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मीडिया के द्वारा इंडियन बैंक की स्टाफ की भर्ती के लिए जारी की गई नई गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए दिल्ली कमिशन फॉर विमेन ने इंडियन बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ को नोटिस भेजा है। उन्होंने इस मामले पर 23 जून तक अपना जवाब मांगा है।

हालांकि इंडियन बैंक में साफ मना किया है कि महिलाओं के खिलाफ गाइडलाइंस में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

इंडियन बैंक महिलाओं के सशक्तिकरण की तरफ बहुत ही अच्छा विचार और प्रतिक्रिया रखता है। इंडियन बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों में 29% महिला कर्मचारी शामिल है। 

प्रेग्नेंट महिलाओं
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