14 घंटे की फ्लाइट में 4 महिलाओं के साथ फ्लाइट में दुर्व्यवहार, 73 वर्षीय भारतीय नागरिक गिरफ्तार

सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट में 73 वर्षीय भारतीय नागरिक ने 14 घंटे के सफर के दौरान चार महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया। जानें घटना का पूरा विवरण, कानूनी कार्यवाही और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता।

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Vaishali Garg
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14 घंटे की फ्लाइट में चार महिलाओं का यौन उत्पीड़न, 73 वर्षीय भारतीय नागरिक गिरफ्तार

Image Credit: avgeekwithlens/ Harsh Tekriwa

सिंगापुर एयरलाइंस की एक फ्लाइट में 73 वर्षीय भारतीय नागरिक बालासुब्रमण्यम रमेश द्वारा चार महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का मामला सामने आया है। इस घटना ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी है, जिसमें 14 घंटे के सफर के दौरान रमेश पर सात बार महिलाओं के साथ दुव्यवहार का आरोप है।

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14 घंटे की फ्लाइट में चार महिलाओं का यौन उत्पीड़न, 73 वर्षीय भारतीय नागरिक गिरफ्तार

घटना का विवरण

यह घटना 18 नवंबर को अमेरिका से सिंगापुर जाने वाली फ्लाइट में हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, रमेश ने एक महिला को चार बार और अन्य तीन महिलाओं को एक-एक बार यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया।

उत्पीड़न की समयावली

  • सुबह 3:15 बजे: पहली महिला के साथ उत्पीड़न।
  • सुबह 3:20 बजे: दूसरी महिला पर हमला।
  • सुबह 3:30 से 6:00 बजे तक: दूसरी महिला के साथ तीन बार दुर्व्यवहार।
  • सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक: तीसरी और चौथी महिलाओं को निशाना बनाया गया।
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कानूनी कार्यवाही और सज़ा

25 नवंबर को रमेश को सिंगापुर की अदालत में पेश किया गया। सिंगापुर के कानून के अनुसार, यौन उत्पीड़न के प्रत्येक अपराध के लिए तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोड़े मारने की सज़ा नहीं दी जाती, इसलिए 73 वर्षीय रमेश को यह सज़ा नहीं होगी। अगर दोषी पाया गया, तो रमेश को कुल 21 साल तक की जेल हो सकती है।

फ्लाइट में यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामले

यह घटना अकेली नहीं है। हाल ही में अक्टूबर 2024 में, दिल्ली से चेन्नई जाने वाली इंडिगो फ्लाइट में 45 वर्षीय राकेश शर्मा को एक महिला यात्री के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। महिला ने बताया कि शर्मा ने पीछे की सीट से उसे अनुचित तरीके से छुआ। फ्लाइट स्टाफ को तुरंत सूचना दी गई, और चेन्नई पहुंचने पर शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया।

बदलाव की ज़रूरत

हवाई सफर को सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कानून, बेहतर निगरानी और फ्लाइट स्टाफ की तुरंत कार्रवाई ज़रूरी है। लेकिन असली बदलाव के लिए समाज में गहराई तक बैठे लैंगिक भेदभाव और पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देना होगा। जब तक इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के प्रयास नहीं होंगे, तब तक केवल दंडात्मक उपाय पर्याप्त नहीं होंगे। सुरक्षित माहौल के लिए समाज को अपनी मानसिकता बदलनी

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