350 किलोमीटर रोज़ सफर, जानें इस भारतीय मूल की माँ की अनोखी जर्नी

एयरएशिया की असिस्टेंट मैनेजर राशेल कौर हर दिन 350 किलोमीटर से ज़्यादा उड़ान भरकर काम और परिवार के बीच संतुलन बना रही हैं। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी।

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Vaishali Garg
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Indian Origin Mom Flies Over 350 KMs

Indian Origin Mom Flies Over 350 KMs: आज के दौर में वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना एक चुनौती बन चुका है, लेकिन मलेशिया में रहने वाली राशेल कौर ने इस चुनौती को अपने तरीके से हल कर लिया है। एयरएशिया की फाइनेंस ऑपरेशंस डिपार्टमेंट में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में काम करने वाली राशेल रोज़ाना 350 किलोमीटर से ज़्यादा की हवाई यात्रा कर अपने काम और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखती हैं।

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रोज़ 350 KM सफर, इस भारतीय मूल की माँ की अनोखी जर्नी

5 दिन, 350 किलोमीटर की हवाई यात्रा

राशेल कौर हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक पेनांग से कुआलालंपुर की यात्रा करती हैं। रोज़ सुबह 4 बजे उठती हैं, 5 बजे तक घर से निकल जाती हैं और 5:55 की फ्लाइट पकड़कर कुआलालंपुर पहुंचती हैं। ऑफिस पहुंचते-पहुंचते सुबह 7:45 बज जाते हैं। पूरे दिन ऑफिस में काम करने के बाद, शाम को वापस उड़ान भरती हैं और रात 8 बजे तक घर लौट आती हैं।

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ऐसा सफर क्यों चुना?

राशेल कौर पहले कुआलालंपुर में एक किराए के घर में रहती थीं और सिर्फ़ वीकेंड पर अपने बच्चों से मिलने पेनांग जाती थीं। लेकिन इस दूरी ने उनके पारिवारिक जीवन को प्रभावित किया। तब उन्होंने फैसला किया कि रोज़ उड़ान भरकर ऑफिस जाना ज़्यादा सही रहेगा ताकि वह हर दिन अपने बच्चों के साथ समय बिता सकें।

उन्होंने बताया, "मेरे दो बच्चे हैं। बेटा 12 साल का और बेटी 11 साल की है। जब वे छोटे थे, तब शायद इतनी ज़रूरत महसूस नहीं होती थी, लेकिन अब मुझे लगता है कि एक माँ का उनके पास होना बहुत ज़रूरी है। इसी कारण मैंने यह सफर अपनाया ताकि हर रात अपने बच्चों को देख सकूं।"

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क्या यह सफर किफायती है?

पहली नज़र में यह सफर थकाने वाला और महंगा लगता है, लेकिन राशेल के लिए यह किराया देने से सस्ता सौदा साबित हुआ। पहले कुआलालंपुर में घर किराए पर लेकर रहने में उन्हें 42,000 रुपये प्रति महीने खर्च करने पड़ते थे, लेकिन अब रोज़ उड़ान भरने के बावजूद उनका खर्च घटकर 28,000 रुपये प्रति महीने रह गया है।

एयरएशिया ने क्या प्रतिक्रिया दी?

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राशेल की कंपनी एयरएशिया इस अनोखे सफर को लेकर पूरी तरह सहायक रही है। उनका कहना है कि इस सफर की वजह से उनके जीवन में संतुलन बना रहता है। उन्होंने कहा, "जब मैं ऑफिस में होती हूँ, तो 100% काम पर फोकस करती हूँ और जब घर पर होती हूँ, तो सिर्फ़ अपने परिवार पर ध्यान देती हूँ।"

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने वर्क फ्रॉम होम क्यों नहीं चुना, तो उन्होंने कहा कि उन्हें लोगों के साथ मिलकर काम करना ज़्यादा प्रभावी लगता है। उन्होंने कहा, "ऑफिस में रहकर काम करना आसान होता है, क्योंकि आप अपने सहकर्मियों से तुरंत चर्चा कर सकते हैं और कोई भी काम जल्दी निपटा सकते हैं।"

क्या यह सफर थकाने वाला नहीं है?

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राशेल मानती हैं कि रोज़ सुबह 4 बजे उठना और लंबी यात्रा करना आसान नहीं है। लेकिन जब वह घर लौटकर अपने बच्चों को देखती हैं, तो सारी थकान भूल जाती हैं। उनका कहना है, "जैसे ही मैं घर पहुंचती हूँ और अपने बच्चों को देखती हूँ, सारी थकान गायब हो जाती है। यह अनुभव बेहद खास है।"

राशेल कौर का सफर यह साबित करता है कि सही फैसलों और समर्पण के साथ, कोई भी अपने काम और परिवार के बीच संतुलन बना सकता है।

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