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जापान के शुही मात्सुओ पोस्ट ने अपनाया अपनी पत्नी का सरनेम।

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Swati Bundela
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जापान के एक युवा शुही मात्सुओ पोस्ट (Shuhei Matsuo Post) ने अपनी पत्नी के सरनेम को अपनाकर समाज को एक नया नज़रिया दिया है।
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मात्सुओ पोस्ट का दिया, यह नज़रिया समाज के लिए एक मिसाल है। जब मात्सुओ पोस्ट ने शादी करी, तो वो और उनकी पत्नी दोनों ही अपने सरनेम को छोड़ना नहीं चाहते थे। और इसी कारण दोनों ने एक-दूसरे की सहमति से, एक दूसरे का नाम अपना लिया।

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पोस्ट जापान में एक व्यापारी हैं। और इनका कहना है कि इनके यहाँ पितृसत्ता की एक बेहद मजबूत पकड़ है, जो महिला और पुरुष दोनों पर ही कड़े प्रतिबंध लगाती है। समाज द्वारा महिलाओं को बाहर के काम करने से रोका जाता है और उनको केवल घर तक ही सीमित कर दिया जाता है। साथ ही, महिलाओं के आगे बढ़ने पर भी कई प्रश्न उठाए जाते हैं।

शुही मात्सुओ पोस्ट की किताब 'आई टुक हर नेम'

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शुही मात्सुओ पोस्ट ने जब पितृसत्ता की अपने समाज में ऐसी पकड़ देखी और इसके कारण होती  लैंगिक असमानता की ओर नज़र डाली। तब उन्होंने जेन्डर इशूज़ पर काफी ज्यादा सोचना शुरू किया। और एक पूरी किताब ही लिख दी - ''आई टुक हर नेम (I Took Her Name)''। इस किताब में पोस्ट बताते हैं कि कैसे उन्होंने समाज के खिलाफ जाकर अपनी पत्नी के नाम को अपनाया है। साथ ही, इस किताब में पोस्ट समाज की रीतियों पर भी कई प्रश्न उठाते हैं।

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''मैंने इस किताब में नारीवाद (feminism) से जुड़े कई स्टिग्मा (stigma) पर बात की है और खुद को एक नारीवादी बताया है। साथ ही, 'आई टुक हर नेम' के ज़रिए मैंने इस बात को भी शुरू करने की कोशिश की है कि पितृसत्ता पुरुषों के लिए कितनी खतरनाक होती है और पितृसत्ता को खत्म करने के लिए हम क्या कर सकते हैं।'' शुही मात्सुओ पोस्ट ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा।



































japanese man adopts wife surname in hindi
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