Jharkhand Assembly Elections 2024: Historic Victory for Women with 12 Elected MLAs and Increased Female Voter Turnout: झारखंड ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है। राज्य में पहली बार 12 महिलाएं विधानसभा में विधायक के रूप में चुनी गई हैं। इसके अलावा, महिलाओं के वोट देने की संख्या भी उत्साहजनक रही है, जो दर्शाता है कि वे अब अपनी आवाज़ उठा रही हैं और चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: 12 महिला विधायक चुनीं, महिला मतदान में आई वृद्धि
झारखंड में 12 महिला विधायकों का चुनाव: एक ऐतिहासिक क्षण
2024 के विधानसभा चुनावों में झारखंड ने एक नया इतिहास रचा। इस चुनाव में राज्य विधानसभा में 12 महिला विधायकों का चयन हुआ है, जिनमें शामिल हैं- जमशेदपुर (पूर्व) से पूर्णिमा साहू, पाकुड़ से निसत आलम, महगामा से दीपिका पांडे, रामगढ़ से ममता देवी, बोकारो से श्वेता सिंह, मंडार से शिल्पी नेहा तिर्की, कोडरमा से नीरा यादव, जमुआ से मंजू कुमारी, झरिया से रागिनी सिंह, गांधी से कल्पना मुर्मू सोरेन, जामा से लोइस मरांडी और इचगढ़ से सविता महतो।
इनमें से निसत, पूर्णिमा और श्वेता ने इस चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में बनी INDIA गठबंधन ने राज्य में अपनी सरकार बचाए रखी और 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव में हेमंत सोरेन एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं।
महिला मतदाताओं का उत्साह: बदलाव की नई धारा
हाल के चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पहले से अधिक देखा गया। महिलाओं ने अब अपनी जिम्मेदारी को समझा और चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया, बजाय इसके कि वे हर दिन चाय की चुस्की के साथ शिकायत करें।
13 नवंबर 2024 को झारखंड के 43 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं की मतदान दर पुरुषों से 4.8% अधिक रही। इस साल महिलाओं के मतदान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, 2019 के मुकाबले 2024 में यह संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़ी, जो 68 सीटों पर महिलाओं की अधिक मतदान दर को दर्शाता है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा 15 नवंबर 2024 को जारी आंकड़ों के अनुसार, 43 में से 37 सीटों पर महिलाओं ने अधिक मतदान किया।
महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं का प्रभाव
झारखंड और महाराष्ट्र की सरकारों ने महिलाओं के कल्याण के लिए अपनी योजनाओं के माध्यम से इस उच्च मतदान दर को प्रोत्साहित किया। झारखंड सरकार ने हाल ही में महिला कल्याण योजनाओं के तहत 5 मिलियन महिलाओं के लिए अपनी मासिक पेंशन बढ़ाकर ₹2,500 कर दी, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ₹2,100 की घोषणा की थी।
महाराष्ट्र सरकार ने "माझी लडकं बहन योजना" के तहत राज्य की 2 लाख महिलाओं को ₹1,500 की मासिक पेंशन दी, जिससे महिलाओं के मतदान में वृद्धि देखी गई।
वोटिंग में महिला की आवाज़: पुरुषों द्वारा लिया गया निर्णय
हालांकि महिला मतदाता मतदान में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं, इसके पीछे के संभावित प्रभावों पर ध्यान देना भी जरूरी है। एक अध्ययन के अनुसार, केवल 53.7% शहरी महिलाएं ही लोकसभा चुनावों में वोट देने के लिए तैयार थीं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 80% था। शहरी महिलाएं अधिक शिक्षित और सूचित होती हैं, लेकिन मतदान प्रतिशत कम रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं कुछ परिवर्तन की उम्मीद में तो मतदान करती हैं, वहीं कुछ को उनके परिवार के पुरुष सदस्य प्रभावित करते हैं।
नतीजा: क्या बदल रहा है झारखंड में चुनावी परिदृश्य?
झारखंड में महिलाओं के मतदान में आई इस बढ़ोतरी ने यह साफ किया कि राज्य की ग्रामीण महिलाएं अब अपने अधिकारों के प्रति सजग हो रही हैं। हालांकि, चुनावी फैसले पर परिवार और पुरुषों का प्रभाव कायम है, लेकिन यह बदलाव की शुरुआत है। यह चुनावी परिणाम झारखंड में महिलाओं की राजनीतिक स्थिति में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।