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Karnataka Approves Passive Euthanasia: कर्नाटका सरकार ने हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पासिव एथेनेशिया या 'दया मृत्यु' को मंजूरी दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 2023 के आदेश के तहत लिया गया है, जिसमें गंभीर रूप से बीमार या मरणासन्न रोगियों को 'सम्मान के साथ मृत्यु का अधिकार' देने की बात की गई थी। इस फैसले से अब कर्नाटका में मृत्युकाल के करीब पहुंच चुके रोगी अपनी इच्छा के अनुसार जीवन-समाप्ति की प्रक्रिया को अपनाने के योग्य होंगे।
कर्नाटका ने पासिव एथेनेशिया को मंजूरी दी, जानिए 'Right to Die with Dignity' के बारे में
क्या है पासिव एथेनेशिया?
पासिव एथेनेशिया एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें ऐसे रोगियों के जीवन-रक्षक उपचार को रोका जाता है, जो ठीक होने की संभावना से बाहर होते हैं। इसका अर्थ है, जीवन को बनाए रखने वाले इलाज जैसे वेंटिलेटर या फीडिंग ट्यूब्स को बंद कर देना। इस स्थिति में, रोगी की हालत गंभीर होती है, और वह पूरी तरह से इलाज से बाहर हो चुका होता है।
इसके अलावा, जब कोई सक्षम रोगी इलाज से इंकार करता है, तो उसे भी पासिव एथेनेशिया माना जाता है। यह तब होता है जब व्यक्ति पहले से ही यह निर्णय ले चुका होता है कि यदि वह भविष्य में निर्णय लेने में असमर्थ हो, तो कौन सा इलाज किया जाए। इसे 'लिविंग विल' के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें रोगी अपनी चिकित्सा प्राथमिकताओं को लिखित रूप में दर्ज करता है।
कर्नाटका का ऐतिहासिक निर्णय
कर्नाटका सरकार ने 31 जनवरी को इस फैसले की घोषणा की कि यदि कोई रोगी मरणासन्न अवस्था में हो या इलाज की कोई संभावना न हो, तो उसे जीवन-रक्षक उपचार को बंद करने की अनुमति दी जाएगी। इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए रोगी को एक 'एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव' (AMD) या 'लिविंग विल' तैयार करनी होगी, जो भविष्य में चिकित्सा उपचार के लिए उनकी प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
स्वीकृति और प्रक्रिया
इस निर्णय के अंतर्गत, रोगी का इलाज करने वाले डॉक्टर को पहले मेडिकल बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। यह मेडिकल बोर्ड अस्पताल में स्थापित किया जाएगा, और इसमें न्यूरोलॉजिस्ट, इंटेन्सिविस्ट, और न्यूरोसर्जन जैसी योग्य चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम शामिल होगी। बोर्ड को रोगी के परिवार से या उसके द्वारा नामित किसी व्यक्ति से सहमति प्राप्त करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इसके बाद, चिकित्सा बोर्ड के निर्णय को प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) के पास भेजा जाएगा। इसके बाद, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भी निर्णय की प्रतिलिपि भेजी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, "पासिव एथेनेशिया को मंजूरी देने से कई परिवारों और व्यक्तियों को शांति और सम्मानजनक अंतिम समय मिल सकेगा। यह निर्णय कर्नाटका के लिए एक बड़ा कदम है और यह मृत्युकाल के करीब पहुंच चुके रोगियों को राहत देगा।"
My Karnataka Health Department, @DHFWKA, passes a historic order to implement the Supreme Court’s directive for a patients Right to Die with dignity.
— Dinesh Gundu Rao/ದಿನೇಶ್ ಗುಂಡೂರಾವ್ (@dineshgrao) January 31, 2025
This will immensely benefit those who are terminally ill with no hope of
recovery, or are in a persistent vegetative state, and… pic.twitter.com/UxN2zMdN1c
कर्नाटका का यह निर्णय न केवल भारतीय चिकित्सा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक उम्मीद की किरण है, जो अपने जीवन के अंतिम समय में असहनीय पीड़ा से जूझ रहे होते हैं। यह 'Right to Die with Dignity' के अधिकार को सम्मान देता है और समाज में जीवन और मृत्यु के प्रति एक संवेदनशील दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।