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Discrimination Case: पानी के लिए कर्नाटक की दलित महिला से दुर्व्यवहार

भारत में आज भी बहुत सी जगहों पर छुआछूत होती है, हाल ही में कर्नाटका का एक मामला सामने आया जहां पर देखा जा सकता है कि कैसे आज भी पानी जैसी चीज के लिए लोगों से छुआछूत की जाती है,आइए जानते हैं पूरी खबर आज के इस न्यूज़ ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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Gender discrimination

Discrimination Case

Discrimination Case: आज भी हमारे देश से भेदभाव कम नहीं हुआ है देश के अलग-अलग हिस्सों में सदियों पुराना भेदभाव अभी भी मौजूद है। कभी यह भेदभाव कहीं पर एक अत्याचार के रूप में किया जाता है तो कहीं आक्रामकता स्थिति में। हाल ही में एक मामला सामने आया जो कर्नाटका के चामराजनगर जिले से है, वहां से एक भेदभाव की घटना सामने आई।

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Karnataka dalit woman abused for Water 

एक हेगगोटोरा गांव के एक उच्च जाति के व्यक्ति ने सार्वजनिक टैंक से पानी पीने को निकाला और फिर उस पानी को गोमूत्र से शुद्ध किया। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा उसने इसलिए किया क्योंकि एक दलित महिला ने उस टैंक से पानी पी लिया था।

ऐसा माना गया है कि वह दलित महिला उस गांव से नहीं थी। वह 19 नवंबर दिन शनिवार को उस गांव में आई थी। प्यास लगने के कारण उस महिला ने एक ऊंची जाति के इलाके में स्थापित पानी के टैंक से पानी पी लिया जब यह बात वहां के लोगों को पता चली तो उन्होंने उस टंकी से पानी निकाला और गोमूत्र से तालाबों की सफाई की।

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यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और लोगों ने इस घटना की काफी अधिक आलोचना की उस समय तहसीलदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी उस जगह पर पहुंचे और इस मामले के बारे में जांच करना शुरू कर दिया गया है।

Discrimination Case: पानी जैसी चीज के लिए कर्नाटक की दलित महिला से दुर्व्यवहार


वहां रहने वाले एक व्यक्ती ने बताया कि शुक्रवार को गांव में दलित समाज में शादी थी। महिला एचडी कोटे से शादी में शामिल होने आई थी। उसने सार्वजनिक टंकी से पानी पिया और झटपट बस पकड़ ली। पानी पीने को लेकर ग्रामीणों ने महिला को बुरी तरह से गाली दी और टंकी को शुद्ध करने का फैसला किया।

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जांच करने पर राजस्व निरीक्षक व ग्राम लेखाकार ने घटना की पुष्टि की, अधिकारियों ने बाद में तहसीलदार को रिपोर्ट सौंपी। तहसीलदार आईई बसवाराजू और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने रविवार को ग्रामीणों से इस बारे में बात की। अधिकारियों ने ग्रामीणों को अवगत कराया कि जल भंडारण टैंक सार्वजनिक संपत्ति है और सभी को इससे पानी पीने की अनुमति है। बाद में इस बात को साबित करने के लिए तहसीलदार ने 20 से अधिक दलित युवकों को गांव के सभी सार्वजनिक पेयजल नलों पर ले जाकर पानी पिलाया।

इस मामले को लेकर वहां के अधिकारियों का कहना है कि वह इस मामले की एफ आई आर कराने के लिए उस महिला को ढूंढ रहे हैं जिसने उस पानी के टैंक से पानी पिया था जैसे वह महिला मिल जाती है उसके बयान के बाद वे लोगों को हिरासत में लेकर इस चीज के लिए कड़ी से कड़ी सजा देंगे।

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