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कर्नाटक में पानी की किल्लत: स्कूल और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जूझ रहे हैं मुश्किलों से

भारत के कर्नाटक राज्य में पिछले कुछ महीनों से भयानक जल संकट बना हुआ है, जिसकी सबसे ज्यादा मार स्कूलों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर पड़ रही है। राजधानी बेंगलुरु के कई स्कूलों ने तो अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा भी कर दी है। 

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Vaishali Garg
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Karnataka Water Crisis

Representative Image (Image Credits: Press Information Bureau)

Karnataka Water Crisis: भारत के कर्नाटक राज्य में पिछले कुछ महीनों से भयानक जल संकट बना हुआ है, जिसकी सबसे ज्यादा मार स्कूलों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर पड़ रही है। राजधानी बेंगलुरु के कई स्कूलों ने तो अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा भी कर दी है। 

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कर्नाटक में पानी की किल्लत: स्कूल और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जूझ रहे हैं मुश्किलों से

जमीनी हकीकत: एक महिला का संघर्ष

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के एक आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों को लगातार पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक महिला ने 45 फुट गहरा कुआं खुद खोद डाला। क्षेत्र में पानी की भारी कमी को देखने के बाद उन्होंने यह कठिन काम शुरू किया था, जिसकी वजह से आंगनवाड़ी की शिक्षिकाओं को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा था। हर दिन वह कुदाल, पिकैक्स, टोकरी और रस्सी जैसे साधारण औजारों की मदद से डेढ़ फुट गहराई खोदने में घंटों बिताती थीं और मिट्टी की बाल्टियाँ भरकर ऊपर खींचती थीं। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और अब वह समुदाय की प्यास बुझा रही हैं। 

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यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि सिद्दी, उत्तर कन्नड़ की 55 वर्षीय गौरी नायक की वास्तविकता है, जिन्होंने स्थानीय आंगनवाड़ी बच्चों के लिए पानी लाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। उनकी कहानी कर्नाटक के लोगों की उस चुनौती को दर्शाती है, जिसका सामना वे लगातार जल संकट के बीच कर रहे हैं।

जल संकट में जूझ रहे स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र

कर्नाटक में पिछले कुछ महीनों से भयानक जल संकट बना हुआ है, जो गर्मियों के नजदीक आते ही और भी विकराल रूप लेता जा रहा है। वर्षा 2023 में कम बारिश होने के कारण राज्य को कई सालों में सबसे खराब जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। खबरों के अनुसार, राजधानी बेंगलुरु में 3,000 से अधिक बोरवेल सूख चुके हैं।

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बढ़ते जल संकट के बीच स्कूलों और आंगनवाड़ियों का सुचारू रूप से चल पाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि छात्रों को पीने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है। राज्य के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो पिछले कुछ महीनों से छात्र स्कूल जाना ही छोड़ चुके हैं। बेंगलुरु में कुछ सरकारी स्कूलों ने पानी की कमी के चलते कक्षाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं, तो कुछ स्कूल ऑनलाइन मोड पर लौट आए हैं।

एक निजी स्कूल के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से इस मुद्दे पर बात की। “पिछले एक हफ्ते से बोरवेल सूख चुका है और कई वाटर टैंकरों को बार-बार फोन करने के बाद भी हमें एक भी टैंकर नहीं मिल पाया। अब ज्यादातर टैंकर सरकार के अधीन हैं, जिससे उनकी सेवाएं लेना पहले जैसा आसान नहीं रहा है। चूंकि हमारा एक होमस्कूल है, इसलिए हम पानी के बिना स्कूल चलाने का जोखिम नहीं लेना चाहते थे। इसलिए, हमने समस्या हल होने तक स्कूल को अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला किया है।"

पिछले कुछ महीनों से कर्नाटक सरकार केंद्र से सूखा राहत की मांग कर रही है, साथ ही गंभीर जल कमी से निपटने के लिए बैठकें भी कर रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए निजी वाटर टैंकरों का अधिग्रहण किया है और उनकी कीमतों पर सीमा भी लगा दी है। इस बीच, निवासियों को उपलब्ध पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं और पानी की बर्बादी पर जुर्माना भी लगाया गया है।

स्कूल Karnataka Water Crisis आंगनवाड़ी
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