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जानिए कैसे केरल की हेल्थ मिनिस्टर - के. के शैलजा कोरोनावायरस से निपट रहीं हैं

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Swati Bundela
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केरल में एक महिला है जो कई हेल्थ और इमरजेंसी सीटुएशन्स का सामना कर रही है और चीज़ों को ठीक करने की कोशिश में हैं। और वह हैं स्टेट की रॉकस्टार हेल्थ मिनिस्टर, के. के. शैलजा। ये सिर्फ कोरोनोवायरस को ठीक करने के एफ्फोर्ट्स की वजह से नहीं, बल्कि इन्होने पहले में भी ऐसे कई काम किये है जो काफी अमेजिंग हैं । 2018 में मई के पहले सप्ताह में केरल के कोझीकोड डिस्ट्रिक्ट में डेंजरस निपाह नाम का एक वायरस बहुत फ़ैल गया था ।

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जो लोग इससे अच्छे से नहीं समझ पाए तो उन्हें हम बताना चाहते हैं कि, निपाह का डेथ रेट , WHO के अनुसार 40 से 75 परसेंट है (जैसा कोरोनवायरस का 3 से 4 परसेंट है) है। केरल में इन्फेक्ट होने वाले 23 पेशेंट्स में से 21 की मौत हो गई। अगले महीने ही, केरल ने निपाह के स्प्रेड को कन्ट्रोल कर लिया। उस टाइम कोझिकोड और उसके साथ के मलप्पुरम डिस्ट्रिक्ट में 2000 से अधिक (जिनमे इन्फेक्शन होने का शक था) को आइसोलेशन में रखा गया।

हेल्थ डिपार्टमेंट के एक अफसर ने कहा, " शैलजा एक टफ टास्कमास्टर है। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अभी आधी रात है या उन्हें कोई बीमारी है , वो हर अरेंजमेंट पे नज़र रखती हैं।"

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आइये जानते हैं इनके बारे में कुछ और बातें जो शायद हम नहीं जानते थे :



1. 63 वर्षीय के. के. शैलजा, जो कन्नूर जिले से हैं, ने साइंस में अपनी ग्रेजुएशन पूरी करी और 2004 में फुल टाइम पॉलिटिक्स में शामिल होने से पहले, वह एक हाई स्कूल टीचर हुआ करती थी।
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2. इस महीने की शुरुआत में हफपोस्ट के साथ एक इंटरव्यू में शैलजा ने कहा, “कोरोना जैसे एपिडेमिक से लड़ने के लिए साइंटिफिक टेम्पर, हुमानिस्म, इन्क्वायरी और रिफॉर्म की स्पिरिट की बहुत ज़रुरत होती है। सुपरस्टीशन, जल्दी विश्वास करना, एमोशनलिस्म और इर्रेशनलिस्म उन लोगों के काम को और खराब करदेगा जो इस वायरस के थ्रेट को सइंटिफिकल्ल्य रेसॉल्व करना चाहते हैं ।

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3. शैलजा ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) कि एक्टिविटीज की से पॉलिटिक्स में आयी और बाद में सीपीआई (एम) सेंट्रल समिति की मेंबर बन गई ।



4. वह ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन'स एसोसिएशन की स्टेट सेक्रेटरी और इसकी सेंट्रल समिति की जॉइंट सेक्रेटरी हैं।
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