Kiara Advani On Marriage: कियारा ने सेटल होने पर सिखाया सबक

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Swati Bundela
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कियारा आडवाणी को लंबे समय से सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​के साथ रिश्ते में होने की अफवाह है। उनके रिश्ते की अफवाहों से चर्चा हो रही है, इसलिए अभिनेत्री से सेटल होने की और शादी करने की उनकी इच्छाओं के बारे में पूछा गया था। जिस पर उन्होंने कहा, "शादी के बिना मैं अच्छी तरह से सेटल हो सकती हूं, है ना? मैं अच्छी तरह से सेटल हूं। मैं काम कर रही हूं। मैं कमा रही हूं और खुश हूं।" कियारा का यह स्टेटमेंट न्यूज़ बन गया है - 

सेटल होना क्या होता है?

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कियारा आडवाणी के इंसिडेंट से एक बहुत ज़रूरी मुद्दा उठता है, कि क्या इंसान बिना शादी के सेटल माना जा सकता है? यह संभव तो है, मगर समाज किसी को तब तक सेटल्ड नहीं मानता जब तक उसकी शादी न हो जाये। यह बात महिलाओं के लिए और भी ज़्यादा लागु है। जब से घर में बेटी का जन्म होता है, उसी दिन से माता पिता उसकी शादी के लिए पैसा इकट्ठा करने में लग जाते हैं। कुछ जनरेशन पहले तक बेटी की शादी बेटी के पढाई से ज़्यादा ज़रूरी हुआ करती थी।

समाज ने हर व्यक्ति के जीवन की स्क्रिप्ट पहले से डिसाइड कर रखी  है, और जो व्यक्ति उस स्क्रिप्ट को न मानना चाहे, उससे ऑक्वर्ड प्रश्नों का और पीठ पीछे बुराई सहना पड़ता है। समाज का स्क्रिप्ट है की बचे को जन्म के बाद स्कूल-कॉलेज की पढाई करनी है, अगर वह लड़का है तो उससे डॉक्टर, इंजीनयर बनना है या  सरकारी नौकरी पानी है, और अगर लड़की है तो उससे पत्नी बनना है। जो ऐसा न करे, उसके साथ कुछ समस्या है। शादी होते ही परिवार के बड़े, रिश्तेदार, पड़ोसी, आदि कपल से बचचे  के बारे में सवाल करना शुरू कर देते हैं।

समाज यह कभी नहीं सोचती की हर व्यक्ति या हर औरत के समान इच्छा नहीं होती हैं। कुछ लोगों के लिए  शादी उनके जीवन का लक्ष्य नहीं है। कुछ औरतों के लिए माँ बनना उनका लक्ष्य नहीं है। अविवाहित स्त्री अधूरी नहीं होती। हां, आदमी औरत को पूरा नहीं करता है। औरत अकेले ही पूरी है।

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मशहूर अमेरिकी गायिका शेर (Cher) ने एक बार कहा था, “आदमी खाने के बाद की मिठाई के तरह है। औरत आदमी के बिना भी जी सकती है, पर उनके होने से जीवन सुन्दर होता है।” यह लाइन बहुत सरलता से एक कॉम्प्लेक्स बात को समझती है। आदमी को औरत के जीवन में मिठाई से तोलने से दो बातें एक्सप्लेन होती है। पहली औरत का जीवनसाथी के रूप में आदमी का होना उसकी जीवन को मीठी, सुंदर और खुश बनती है। दूसरी, जैसे हर इंसान को मिठाई पसंद नहीं होती, हर औरत को अपनी शादी का विचार पसंद नही होता।

समाज को औरत का सेटल होना और उसके मैरिटल स्टेटस को समान मन्ना बंद करना होगा। औरत जब कमेटी है, वह सेटल्ड होती है, जब वह घर या गाड़ी खरीदती है, वह सेटल्ड होती है, जब वह अपने जीवन शैली से खुश और संतुष्ट होती है, वह सेटल्ड होती है।

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