सेक्स वर्करस को हमारे समाज ने आज भी स्वीकार नहीं किया है। आज भी उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें समाज से अलग समझा जाता है। अभी नवरात्रों के दिन चल रहे है तो सभी जगह लोग यह दिन उत्साह से मना रहे हैं अभी तो कोरोना काल भी ख़त्म हो गया है पिचलों सालो से ज़्यादा लोग इन दिनों को खुलकर मना रहे तो वही कोलकाता में भी नवरात्रे मनाए जा रहे है वहाँ पर एक ऐसा पंडाल तैयार किया गया जिसमें सेक्स वर्कर्स के जीवन को दिखाया गया है।
‘परिचय’
दुर्गा पूजा से सम्बंधित पंडाल का थीम ‘परिचय’ है जिसका मतलब पहचान है।नवपारा दादाभाई संघ पूजा समिति ने इस थीम को तैयार किया गया है। जिसने सेक्स वर्कर्स के जीवन को दर्शाया गया है। इसके द्वारा सेक्स वर्कर्स के जीवन,ज़िंदगी, वे कैसे समुदाय में रहती है और समाज का उनके प्रति क्या रवैया है।
मूर्तियां कैसी हैं?
पंडाल में मूर्तियां सिलिकॉन बनी हुई थी। यह पहली बार था कि ऐसा कोई थीम दुर्गापूजा में दिखाया गया हो। मूर्तियों के कलाकार का कहना है कि यह पहल समाज में तेज़ी लाने के लिए की गई है ताकि लोगों का सेक्स वर्कर के प्रति नजरिया बदल सके।
इस थीम का नाम परिचय दिया है जिसका हिंदी में मतलब पहचान है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने इस थीम को इसलिए चुना क्योंकि वह चाहते हैं सेक्स वर्कर के बारे में जानें। उनकी इज़्ज़त करें और ये भी जाने की सेक्स वर्कर का काम बिलकुल सामान्य और सम्माननीय हैं।
कोलकाता में सोशल मुद्दों को लाया जाता सामने
कोलकाता में हर साल बहुत से ऐसे पंडाल लगाए जाते है जिस में कई विषयों को सामने लाया जाता है। इस साल की बात करें नवपारा दादाभाई संघ पूजा समिति ने जिस पंडाल की मेज़बानी की है वे सच में एक नई पहल है। इसके ज़रिये उन्होंने सेक्स वर्कर के जीवन पर प्रकाश डाला है की वे दिन में क्या करती है, लोग उनके बारे में क्या सोचते है, उनकी पसंद और पेशे को महत्व देना क्यों ज़रूरी है।