एक युग का अंत! भारतीय कथक नृत्य की दिग्गज कलाकार Kumudini Lakhia का 94 वर्ष की आयु में निधन

कुमुदिनी लखिया, जिनकी नृत्य कला ने कथक को समकालीन दिशा दी, का 12 अप्रैल को निधन हो गया। जानिए उनके जीवन, कला और भारतीय नृत्य के प्रति उनके योगदान के बारे में।

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Vaishali Garg
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Kumudini Lakhia

Photograph: (Kumudini Lakhia)

भारत के प्रतिष्ठित कथक नृत्यांगना कुमुदिनी लखिया का 12 अप्रैल को अहमदाबाद में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अपने जीवन में भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूप कथक को एक नया आयाम दिया और इस पारंपरिक कला रूप को एक समकालीन दिशा में उन्मुख किया। अपनी अविस्मरणीय नृत्य यात्रा के कारण उन्हें पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री जैसे कई राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए थे।

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एक युग का अंत! भारतीय कथक नृत्य की दिग्गज कलाकार कुमुदिनी लखिया का 94 वर्ष की आयु में निधन 

कुमुदिनी लखिया कौन थीं?

कुमुदिनी लखिया का जन्म 17 मई 1930 को हुआ था। उनके माता-पिता भी कला प्रेमी थे, और उन्होंने सात साल की उम्र से ही नृत्य की शिक्षा लेना शुरू किया। कुमुदिनी लखिया ने बीकानेर घराने से कथक नृत्य की शुरुआत की और बाद में वाराणसी घराने के आशिक हुसैन और जयपुर घराने के सुंदर प्रसाद से भी प्रशिक्षण लिया।

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कुमुदिनी लखिया ने अहमदाबाद में अपनी पढ़ाई पूरी की, और वहां से अपनी नृत्य यात्रा की शुरुआत की। वह भारतीय नृत्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने वाली पहली कलाकारों में से एक थीं। उन्होंने राम गोपाल के साथ पश्चिमी देशों में प्रदर्शन किए और बाद में स्वयं नृत्य और कोरियोग्राफी के क्षेत्र में एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में स्थापित हो गईं।

कथक नृत्य को नया रूप देने वाली कुमुदिनी लखिया

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कुमुदिनी लखिया ने कथक नृत्य को एक नया और समकालीन दिशा दी। पारंपरिक रूप से कथक एक एकल कला रूप था, लेकिन कुमुदिनी ने इसमें समूह प्रदर्शन को जोड़ा और उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 2001 के नाट्य कला सम्मेलन में उन्होंने कहा था, "मैं अब एकल कथक नृत्य से उतना प्रभावित नहीं थी क्योंकि इसमें बहुत अधिक दिखावा आ गया था। हालांकि, कथक की तकनीक बेहद कलात्मक और पूर्ण थी। उसे प्रस्तुत करने का तरीका अधिक विचारशील होना चाहिए था।"

कुमुदिनी लखिया के योगदान पर श्रद्धांजलि

कुमुदिनी लखिया के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य प्रमुख हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अहमदाबाद में उनके सम्मान में एक शोक सभा का आयोजन 15 अप्रैल को किया जाएगा।

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कुमुदिनी लखिया ने भारतीय नृत्य कला को समृद्ध किया और इसे नई दिशा दी। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनकी कला पीढ़ियों तक प्रभावित करती रहेगी।