Advertisment

माइग्रेंट मज़दूर ने अपनी गर्भवती पत्नी को कार्ट पर लेकर 700 किलोमीटर का सफर तय किया

author-image
Swati Bundela
New Update

Advertisment

फैसला तो किया पर जाएंगे कैसे?


कोई बस या ट्रेन की जानकारी ना होने की वजह से रामू ने पैदल जाने का निर्णय लिया। रामू ने मेकशिफ्ट कार्ट, जंगल की लकड़ियों और डंडियों से बनाया और अपने 2 साल की बच्ची और 8 महीने की गर्भवती पत्नी को उसपर बैठा के चलता गया।
Advertisment

एनडीटीवी न्यूज़ से बात करते हुए रामू कहते हैं " पहले मैंने अपनी बच्ची को गोद मे लेकर चलने का सोचा था पर वो काफी मुश्किल था इसलिए मैंने रास्ते मे पड़े इस जंगल मे ये कार्ट बनाया और अपनी बच्ची औऱ गर्भवती पत्नी को उसपे बैठा के अपना सफर आगे बढ़ाया।"

रामू ने अपना सफर खत्म किया. रामू मंगलवार को महाराष्ट्र से होते हुए अपने गांव बालाघाट पहुंच गये।
Advertisment

एडमिनिस्ट्रेशन ने क्या क्या किया?


पोलिस टीम जिसका नेतृत्व सब डिविशनल अफसर नितेश भारद्वाज कर रहे थे उन्होंने रामू और उनके परिवार को खाना और बिस्किट्स दिए। उन्होंने रामू की 2 साल की बच्ची को नए स्लिपर्स भी दिए।
Advertisment


इसके बाद पुलिस ने गांव में जाने से पहले पूरी फैमिली का मेडिकल चेकअप कराया। बालाघाट तक जाने के लिए माइग्रेंट मज़दूरों के लिए बस की सुविधा शुरू की गई और सब को ये सलाह दी जारही है कि वो 14 दिन तक होम क्वारंटीन का पालन करे ताकि किसी को भी कोरोना ना फैले।
Advertisment

माइग्रेंट मज़दूरों की व्यथा


लॉक डाउन की वजह से मज़दूरों को इनकम नहीं मिल रही है और शहरी इलाकों में रहना उनके लिए मुश्किल होगया है। वो अपने गांव वापस लौटना चाहते हैं पर ट्रांसपोर्ट सुविधा की जानकारी ना होने की वजह से और कई जगह ट्रांसपोर्ट ना होने की वजह से वो पैदल अपना सफर कर रहे हैं।
Advertisment

रामू की कहानी ढेर सारी दिल तोड़ देने वाली कहानियों में से एक है। रामू का वीडियो वायरल होने की वजह से उसे कई सुविधाएं मिली पर अभी भी कई लोग हैं जिनको सुविधायें नही मिली है।
इंस्पिरेशन सेहत
Advertisment