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11 अप्रैल को भारत के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि महात्मा फुले का योगदान हर पीढ़ी को प्रेरणा देता रहेगा। उनके विचार आज भी सामाजिक समानता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए मार्गदर्शक हैं।
महात्मा फुले जयंती 2025: PM मोदी ने किया नमन, कहा उनका योगदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा
पीएम मोदी का भावुक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर महात्मा फुले को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, "मानवता के सच्चे सेवक महात्मा फुले को उनकी जयंती पर सादर नमन। उन्होंने समाज के शोषित और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। देश के लिए उनका अमूल्य योगदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।"
मानवता के सच्चे सेवक महात्मा फुले को उनकी जयंती पर सादर नमन। उन्होंने समाज के शोषित और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। देश के लिए उनका अमूल्य योगदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। pic.twitter.com/ENHDuU5bSq
— Narendra Modi (@narendramodi) April 11, 2025
प्रधानमंत्री का यह संदेश इस बात को दर्शाता है कि भारत की सामाजिक चेतना में महात्मा फुले की भूमिका आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी।
कौन थे महात्मा ज्योतिबा फुले?
महात्मा फुले एक समाज सुधारक, शिक्षक, लेखक और विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन को जातिवाद, बाल विवाह, स्त्री शिक्षा और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ समर्पित किया।
उन्होंने 1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर खोला।
1873 में 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और समता को बढ़ावा देना था।
वे छूआछूत और जातिगत भेदभाव के कट्टर विरोधी थे और मानते थे कि शिक्षा ही समाज में बदलाव ला सकती है।
आज भी प्रासंगिक हैं फुले के विचार
आज जब भारत शिक्षा, सामाजिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब महात्मा फुले के विचार हमें यह याद दिलाते हैं कि परिवर्तन की शुरुआत सोच से होती है।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति भी सामाजिक क्रांति का कारण बन सकता है, बशर्ते उसके पास संकल्प और संवेदनशीलता हो।
महात्मा फुले का जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके विचारों को अपनाना और आगे बढ़ाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए इस सम्मानजनक स्मरण ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को एक समावेशी और समानता पर आधारित समाज बनाने की दिशा में फुले जैसे विचारकों की सोच अत्यंत महत्वपूर्ण है।