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Image Credit: Times Of India
Mamta Kulkarni Resigns From Kinnar Akhara: हाल ही में अभिनेता से आध्यात्मिक नेता बनीं ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़ा से अपने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 10 फरवरी को इस फैसले की घोषणा की, जिसके बाद यह खबर सुर्खियों में आ गई। ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक जीवन अब एक नई दिशा में मुड़ चुका है, लेकिन उनके इस्तीफे को लेकर कई विवादों और प्रतिक्रिया ने इसका महत्व और भी बढ़ा दिया।
ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया।
ममता कुलकर्णी का इस्तीफा और उसकी वजहें
ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो संदेश में इस्तीफे के कारणों पर बात की। उन्होंने कहा, “मैं महामंडलेश्वर यमाई ममता नंद गिरी पद से इस्तीफा देती हूं। किन्नर अखाड़ा और अन्य संतों के बीच मेरी महामंडलेश्वर बनने को लेकर कुछ समस्याएं थीं।” ममता ने आरोप लगाया कि उन्हें महामंडलेश्वर का पद प्राप्त करने के लिए 2 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया था।
कुलकर्णी ने यह भी दावा किया कि उनका आध्यात्मिक Recognition उनके 25 वर्षों की तपस्या का परिणाम था। उन्होंने कहा, "मैंने 25 वर्षों तक चैतन्य गगन गिरी महाराज के मार्गदर्शन में कठोर तपस्या की।"
31 जनवरी को जारी एक प्रेस बयान में किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को अखाड़े से निष्कासित करने की घोषणा की। उन्होंने महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी पर देशद्रोह और अनुचित आचरण का आरोप लगाते हुए उन्हें भी अखाड़े से निष्कासित कर दिया। बयान में खुलासा किया गया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ऋषि अजय दास से सलाह किए बिना कुलकर्णी को महामंडलेश्वर नियुक्त किया था।
'सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ': किन्नर अखाड़ा नेता ने ममता कुलकर्णी को निष्कासित किया
ऋषि अजय दास ने त्रिपाठी के कार्यों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को उनके पद से मुक्त कर दिया है, क्योंकि वे हमेशा उस पद से भटकते रहे हैं, जिसके लिए उन्हें धार्मिक प्रचार-प्रसार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ किन्नर समुदाय के उत्थान आदि की आवश्यकता के लिए नियुक्त किया गया था।"
ऋषि दास के अनुसार, महामंडलेश्वर त्रिपाठी और अखाड़े के अन्य लोगों के कार्य असंवैधानिक थे और सनातन धर्म के सिद्धांतों के विरुद्ध थे। फिल्म उद्योग की चकाचौंध से जुड़ी और देशद्रोह की आरोपी ममता कुलकर्णी की नियुक्ति की भी अखाड़े के मूल्यों के साथ टकराव के लिए आलोचना की गई। टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिपाठी ने कहा, "वे (अजय दास) मेरे द्वारा पंजीकृत अखाड़े के सदस्य भी नहीं हैं। उनके द्वारा जारी किया गया पत्र कूड़ेदान से अधिक कुछ नहीं है।"
#WATCH | #MahaKumbh2025 | Former actress Mamta Kulkarni performs her 'Pind Daan' at Sangam Ghat in Prayagraj, Uttar Pradesh.
— ANI (@ANI) January 24, 2025
Acharya Mahamandleshwar of Kinnar Akhada, Laxmi Narayan said that Kinnar akhada is going to make her a Mahamandleshwar. She has been named as Shri Yamai… pic.twitter.com/J3fpZXOjBb
ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में लिया सन्यास, बनीं 'श्री यमाई ममता नंद गिरी'
सन्यास की प्रक्रिया
ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार सुबह किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान, दोनों के बीच महामंडलेश्वर बनने को लेकर लगभग एक घंटे तक चर्चा हुई। ममता ने रुद्राक्ष की माला पहनी हुई थी और उनके कंधे पर केसरिया रंग का थैला लटका हुआ था। इस दौरान, ममता ने केसरिया रंग की साध्वी की पोशाक पहनी थी, जो एक हिंदू साधु की पहचान है। उनका नया नाम 'श्री यमाई ममता नंद गिरी' रखा गया है।
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, संन्यास लेकर बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर
— श्रवण बिश्नोई (किसान) (@SharwanKumarBi7) January 24, 2025
Mamta Kulkarni ने कहा ये महादेव और मेरे पूर्ण गुरु का आदेश था मैं उसका पालन कर रही हुं#Mahakumbh #MamtaKulkarni pic.twitter.com/ex94WThmZg
किन्नर अखाड़े से जुड़ाव
ममता कुलकर्णी पिछले डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े और महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े के साथ मिलकर धार्मिक अनुष्ठान किए हैं और अब आधिकारिक रूप से महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया शुरू की है।
ममता कुलकर्णी का फिल्मी करियर
ममता कुलकर्णी 1990 के दशक की लोकप्रिय अभिनेत्री थीं। उन्होंने 'करण अर्जुन', 'क्रांतिकारी', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'चाइना गेट' और 'आंदोलन' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी आखिरी हिंदी फिल्म 2002 में 'कभी तुम कभी हम' थी।
ममता कुलकर्णी ने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत महाकुंभ में सन्यास लेकर की है। उन्होंने कहा, "यह महादेव और महाकाली का आदेश था। यह मेरे गुरु का आदेश था। उन्होंने इस दिन को चुना। मैंने कुछ नहीं किया।"
समाज में किन्नर समुदाय का योगदान
किन्नर अखाड़ा 2015 में स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य किन्नर समुदाय को मुख्यधारा में लाना और उन्हें सम्मान देना है। महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर समुदाय के अधिकारों के लिए कई संघर्ष किए हैं।