Beyond "Resting": The Importance of Supporting Women After Childbirth : हाल ही में एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया है, जो एक साथ परिचित और निराशाजनक वास्तविकता दर्शाता है। वीडियो में एक पति को अपनी पत्नी से खाना बनाने के लिए कहते देखा जा सकता है, जिसने दो दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। पति का कहना है कि "वह सिर्फ दो दिन आराम कर रही है," और अब उसे उठकर काम करने की ज़रूरत है।
प्रसवोत्तर (Postpartum) चुनौतियां और पत्नी की पीड़ा की अनदेखी
बच्चे को जन्म देना एक शारीरिक और भावनात्मक बदलाव है, जिसका असर प्रसव के बाद भी लंबे समय तक रहता है। इतना ही नहीं, बच्चे के जन्म के साथ ही एक महिला की प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं। उसे उस समय बच्चे की पूरी देखभाल करनी होती है, जब वह खुद भी बड़े बदलावों से गुज़र रही होती है। फिर भी, हमारे समाज में कुछ लोग इसकी गंभीरता को नहीं समझते। हाल ही में एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया है, जो एक साथ परिचित और निराशाजनक वास्तविकता दर्शाता है। वीडियो में एक पति को अपनी पत्नी से खाना बनाने के लिए कहते देखा जा सकता है, जिसने दो दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। पति का कहना है कि "वह सिर्फ दो दिन सेआराम कर रही है," और अब उसे उठकर काम करने की ज़रूरत है।
वीडियो में पत्नी अपने पति को याद दिलाती है कि वह अभी-अभी प्रसव पीड़ा से गुज़री है। लेकिन पति उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर देता है और कहता है कि चूंकि उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, इसलिए वह बिल्कुल ठीक है। वह उसे आराम करने और घर के छोटे-मोटे काम करने के बारे में भी याद दिलाता है।
वह अपनी मांगों को ज़्यादा बताकर उसे बुरा महसूस कराने के लिए "मैं भी परेशान हूं" का तर्क भी देता है।
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— Wild content (@NoCapFights) March 4, 2024
इंटरनेट की प्रतिक्रिया और समाज में महिलाओं की स्थिति
इंटरनेट पर भी इस वीडियो में पति के व्यवहार को लेकर असहमति जताई गई। कई यूजर्स ने वीडियो पर कमेंट किया और पति के व्यवहार की आलोचना की। कुछ ने तो यहां तक कहा कि पत्नी को उसका साथ छोड़ देना चाहिए।
एक यूजर ने लिखा, "यह वीडियो उन मुख्य कारणों में से एक है, जिस वजह से आजकल कई महिलाएं बच्चे पैदा नहीं करना चाहती हैं। यह तो बस एक बच्चे के साथ एक और बच्चा पैदा करने जैसा है। बेकार और थकाऊ।"
दूसरे ने लिखा, "वह शायद समझ नहीं पाया। उन्हें लगा आराम करने का मतलब रोस्ट (भोजन) बनाना है।"
एक अन्य ने कहा, "वह स्पष्ट रूप से नहीं जानता कि प्रसव के लिए क्या करना पड़ता है।"
एक और ने लिखा की, "उसे उसे छोड़ देना चाहिए।"
यह दुखद है कि समाज़ अभी भी एक महिला को एक व्यक्ति के रूप में समझने में कठिनाई महसूस करता है, न कि सिर्फ एक पत्नी या माँ के रूप में। क्योंकि अगर समाज़ महिलाओं को एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता, तो आज हम इस बारे में बहस नहीं कर रहे होते कि प्रसव कराने वाली महिलाओं को आराम और देखभाल की ज़रूरत है। यह समझ में आने वाली बात होती।
प्रसव के वास्तविकता और पति का समर्थन
हाल ही में, तिरुवनंतपुरम में एक हृदयविदारक घटना घटी, जहां प्रसव के दौरान एक गर्भवती महिला की मृत्यु हो गई। बच्चा भी बच नहीं सका। कारण? पति गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल नहीं ले जाना चाहता था। इसके बजाय, उसने यूट्यूब वीडियो के ज़रिए घर पर ही प्रसव कराने का फ़ैसला किया। नतीजतन, अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
समाज कब समझेगा प्रसव के दर्द को?
समाज को यह समझने में कितना समय लगेगा कि प्रसव एक महिला के जीवन का सबसे तनावपूर्ण और दर्दनाक हिस्सा होता है? इस वीडियो और तिरुवनंतपुरम की घटना दोनों ही इस बात को रेखांकित करते हैं कि हमें महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अनुभवों को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। प्रसव के बाद की देखभाल उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि गर्भावस्था के दौरान देखभाल।
हमें पुरुषों को भी शिक्षित करने की ज़रूरत है कि प्रसव सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी महिला को प्रभावित करता है। पत्नियों को सहारा देने और उनकी ज़रूरतों को समझने के लिए पुरुषों को सक्रिय भूमिका निभाने की ज़रूरत है।