Manvendra Singh Gohil: India's First Openly Gay Prince : भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार, मानवेंद्र सिंह गोहिल का नाम समाजिक बदलाव की लड़ाई में अग्रणीय है। 1965 में गुजरात के एक शाही परिवार में जन्मे मानवेंद्र सिंह गोहिल ने अपने जीवन में रूढ़िवादी परवरिश और यौनिक अभिविन्यास के कारण उत्पन्न संघर्षों का सामना किया। जहाँ एक ओर उनका परिवार परंपरागत मूल्यों को मानने वाला था, वहीं दूसरी ओर उनका यौनिक झुकाव समाज के बनाए ढाँचे से अलग था। 1991 में उनका विवाह मध्य प्रदेश के झाबुआ की राजकुमारी चंद्रिका कुमारी से हुआ, लेकिन यह रिश्ता सिर्फ एक साल ही चल पाया। 2002 तक मानवेंद्र सिंह गोहिल अपनी यौनिक पहचान को समझ चुके थे और 2006 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने समलैंगिक होने की घोषणा की।
मानवेंद्र सिंह गोहिल: भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार की प्रेरणादायक कहानी
स्वीकृति की कठिन राह
मानवेंद्र सिंह गोहिल द्वारा अपने यौनिक झुकाव को उजागर करना ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में सुर्खियों में रहा। हालाँकि, उन्हें सबसे बड़ी चुनौती अपने ही परिवार से स्वीकृति पाने की थी। उन्होंने एक बार स्काई न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उनके माता-पिता ने उन्हें "ठीक" करने के लिए कन्वर्जन थेरेपी (यौनिक रुझान बदलने की चिकित्सा), ब्रेन सर्जरी और इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी कराने की कोशिश की थी।
संघर्ष और विजय
जब मानवेंद्र सिंह गोहिल भारत के पहले समलैंगिक राजकुमार के रूप में सामने आए, तो पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए, उनके पुतलों को जलाया गया और यहाँ तक कि उन्हें जान से मारने की धमकियाँ भी दी गईं। उनके माता-पिता ने तो उन्हें कन्वर्जन थेरेपी के लिए अमेरिका भेजने का भी प्रयास किया। लेकिन, अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा समलैंगिकता को मानसिक रोग न बताए जाने के कारण उन्हें इन यातनाओं से बच पाए। हालाँकि, उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया और लोगों को उन्हें अपना बेटा न कहने की चेतावनी भी दी। इस कठिन समय में भी मानवेंद्र सिंह गोहिल टूटे नहीं और अपने संघर्ष जारी रखा। 2013 में उन्होंने सीएटल के मैसीज़ कॉस्मेटिक्स में कार्यरत अमेरिकी नागरिक सेसिल "डीएंड्रे" रिचर्डसन से शादी की।
LGBTQ+ समुदाय के लिए संघर्षरत योद्धा
आज मानवेंद्र सिंह गोहिल का अपने परिवार से पुनर्मिलन हो चुका है और उन्हें दुनियाभर में एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के हितों की पैरवी करने के लिए जाना जाता है। वे गुजरात स्थित LGBTQ+ चैरिटी लक्ष्या ट्रस्ट के संस्थापक हैं। साथ ही, वह अपने शाही महल "क्वीर बाग" के माध्यम से समलैंगिक पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं। वे समलैंगिक समुदाय के मुद्दों जैसे कन्वर्जन थेरेपी और भेदभाव को भी सामने लाने का काम करते हैं।
भारत में समलैंगिकता के अपराधीकरण को खत्म करने में मानवेंद्र सिंह गोहिल की अहम भूमिका रही है। 2018 में जब भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खत्म कर दिया गया, तो उन्होंने कहा, "इस फैसले ने हमें बिना किसी अपराधी समझे किसी से प्यार करने की स्वतंत्रता दे दी है।" वह आज भी LGBTQ+ समुदाय के लिए सुरक्षित स्थान बनाने और दुनिया भर में समानता को बढ़ावा देने का काम जारी रखे हुए हैं। मानवेंद्र सिंह गोहिल का जीवन संघर्ष और विजय की कहानी है। उन्होंने रूढ़िवादी समाज में अपनी पहचान के लिए लड़ाई लड़ी और दूसरों के लिए समान अधिकारों का मार्ग प्रशस्त किया।