रविवार को राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को भारत के उपराष्ट्रपति(वाइस प्रेसिडेंट) पद के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार घोषित किया गया। 6 अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में, 80 वर्षीय राजनेता का सामना पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से होगा, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार हैं।
मार्गरेट अल्वा ने कांग्रेस प्रशासन के कई कार्यकालों के दौरान केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया, और लगभग 30 वर्षों तक संसद सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
कौन हैं मार्गरेट अल्वा?
मार्गरेट अल्वा, जिनका जन्म 14 अप्रैल, 1942 को कर्नाटक के मैंगलोर जिले में हुआ था, राजनीति में अपने समय के अलावा एक प्रसिद्ध वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनिस्ट हैं।
उन्होंने अगस्त 2013 से अपने कार्यकाल के समापन तक गोवा के 17वें राज्यपाल(गवर्नर), गुजरात के 23वें राज्यपाल, राजस्थान के 20वें राज्यपाल और उत्तराखंड के चौथे राज्यपाल के पदों पर कार्य किया। इससे पहले, वह कैबिनेट मंत्री का पद संभालती थीं।
राज्यपाल चुने जाने से पहले अल्वा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे। वायलेट अल्वा, उनकी सास, ने 1960 के दशक में राज्यसभा की दूसरी डिप्टी चेयरपर्सन के रूप में कार्य किया।
सोनिया गांधी के साथ उनका क्या सम्बन्ध है?
मार्गरेट अल्वा का एक पुराणा विडिओ क्लिप वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के बारे में कुछ राज़ बताए थे। इंटरव्यू उनके किताब “करेज एंड कमिटमेंट: एन ऑटोबायोग्राफी” के बारे में थी, जिसमें उन्होंने बताया की उनके किताब में सोनिया और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, के बीच शक का संबंध था। दोनों एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते थे, और प्रतीत होता है की इस बात का बदला राव के मृत्यु के समय लिया गया। उन्हें बाकी प्रधानमंत्रियों के तरह सम्मान नहीं दिया गया, जिससे अल्वा को ठेस पहुंची और उन्होंने बात को याद रख दी।
मार्गरेट अल्वा के महिलाओं के लिए काम
1974 से 2004 तक, उन्होंने भारतीय संसद में सेवा की, जहाँ उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने वाले चार महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तनों के लिए लड़ाई लड़ी। इन परिवर्तनों में लोकल सरकारों को अधिक अधिकार देना और महिलाओं को लोकल परिषद की एक तिहाई(⅓ ) सीटें रिजर्व करना शामिल है।
दहेज निषेध एक्ट (अमेंडमेंट) समिति, विवाह कानून (अमेंडमेंट) समिति, समान पारिश्रमिक रिव्यू समिति, और 84वें संविधान अमेंडमेंट बिल के लिए जॉइंट सेलेक्ट कमेटी में लोकल सरकार में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण, मार्गरेट अल्वा की महत्वपूर्ण समितियों में से हैं।
1999 से 2004 तक उन्होंने विमेंस एम्पावरमेंट के पार्लियामेंट्री कमेटी की भी अध्यक्षता की। वह एक कोर ग्रुप की प्रभारी थीं, जिसे भारत सरकार ने 1989 में महिलाओं के लिए एक संभावित योजना तैयार करने के लिए इकट्ठा किया था, जिसमें उनकी विकास योजनाओं की रूपरेखा थी।
मार्गरेट अल्वा ने संसद में अपने समय के बाहर महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। उन्हें 1986 में महिलाओं के विकास पर SAARC की उद्घाटन मिनिस्टीरियल बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चुना गया था।
इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण एशिया में बच्चों पर यूनिसेफ द्वारा प्रायोजित सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें लड़कियों की स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया और परिणामस्वरूप सार्क प्रमुख 1987 को "यर ऑफ़ द गर्ल चाइल्ड" (बालिका का वर्ष) के रूप में नामित किया।
संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग ने अल्वा को दो बार इन्वाइट किया ताकि वे महिअलों के निर्णय लेने के अधिकार और फिर डोमेस्टिक वायलेंस पर ‘डिकेड फॉर वीमेन’ का असर की जांच करें।
इसके अलावा, मार्गरेट अल्वा एक NGO की प्रमुख हैं जो बच्चों और महिलाओं का समर्थन करती है।