Bihar News: ठकराहां गांव में महिला किसानों ने बनाई मटका खाद

न्यूज़/ महिला प्रेरक: ठकराहां ग्राम की लगभग तीन दर्जन महिलाएं अपने प्रयास से मटका खाद तैयार कर रही हैं। इस खाद की विधि गोरखपुर की एक संस्था ने लगभग दो महीने पहले यहां के महिला किसानों को बताई थी।

Prabha Joshi
16 Feb 2023
Bihar News: ठकराहां गांव में महिला किसानों ने बनाई मटका खाद Bihar News: ठकराहां गांव में महिला किसानों ने बनाई मटका खाद

बिहार में महिला किसानों ने की मटका खाद तैयार

Bihar News: बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा के ठकराहां प्रखंड इलाक़े में अद्भुत जैविक खेती हो रही है। इस खेती में किसी भी तरह फ़सल को नुकसान नहीं पहुंच रहा है साथ ही गांव की महिला किसानों को बहुत फ़ायदा मिल रहा है। 

पश्चिम चंपारण के बगहा में मटके की खाद से समृद्धि की खेती हो रही है। ठकराहां के आधा दर्जन गांवों की 30 से अधिक महिलाएं मटका खाद का निर्माण कर जैविक खेती कर रही हैं। इसकी बदौलत आज इनके यहां तमाम प्रकार की हरी सब्जियां व मशरूम आदि का उत्पादन हो रहा है। कम लागत में अच्छी पैदावार हो रही है। - प्रेमशंकर सिंह, कृषि विशेषज्ञ

ठकराहां ग्राम की लगभग तीन दर्जन महिलाएं अपने प्रयास से मटका खाद तैयार कर रही हैं। इस खाद की विधि गोरखपुर की एक संस्था ने लगभग दो महीने पहले यहां के महिला किसानों को बताई थी। आज इस संस्था का इन महिला किसानों को दिया प्रशिक्षण काम आ रहा है और गांव की आजीविका चल रही है। 

कैसे तैयार होती है मटका खाद 

मटका खाद को तैयार करने के लिए ये महिला किसान मटकों को लेती हैं। हर मटके में दस लीटर पानी के साथ चने का सात ग्राम सत्तू, सात ग्राम गुड़, आधा लीटर गोमूत्र, दो किलो गोबर, 50 ग्राम अंडे का छिलका मिलाकर मिश्रण तैयार करती हैं। फिर इन मटकों को सूती कपड़े से ढक देतीं हैं। इसके बाद 21वें दिन में ये मटका खाद उपयोग हेतु तैयार हो जाती है। जानकारी के अनुसार एक मटके में 10 लीटर खाद तैयार होती है और एक लीटर खाद में 10 लीटर पानी मिलाकर खेतों में डाला जाता है। इस तरह ये खाद प्रति किलोग्राम 10 प्रतिशत नाइट्रोजन, सात से आठ प्रतिशत फास्फोरस, छह से आठ प्रतिशत पोटाश के अलावा जिंक, कैल्शियम जैसी मिट्टी औऱ फसल के लिए जरूरी तत्व देती है। 

गांव के किसान हैं ख़ुश

नारो देवी, प्रेमशीला देवी, राजमती देवी, संगीता कुमारी, कलावती देवी, प्रेमा रानी, रमावती देवी, सुशीला देवी हरिशंकर प्रसाद, पंकज कुमार जैसे किसानों कि मानें तो पहले वो पारंपरिक खेती के जरिए आजीविका चलाते थे जो पूरी तरह गंडक नदी और प्रकृति पर निर्भर थी पर अब वो व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। इस जैविक खेती से मशरूम आदि की खेती संभव हो रही है जिससे गांव की महिलाएं 5 से 7 हज़ार रुपए महीना कमा पा रही हैं।

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