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सिंदूर लगाना - धर्म या दबाव? मध्य प्रदेश कोर्ट के फैसले पर सवाल

न्यूज़: मध्य प्रदेश के इंदौर की एक फैमिली कोर्ट ने हाल ही में एक विवादास्पद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सिंदूर पहनना एक हिंदू विवाहिता महिला का धार्मिक कर्तव्य है। जानें अधिक इस ब्लॉग में -

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Vaishali Garg
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Aishwarya Rai

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विवादास्पद फैसला: मध्य प्रदेश के इंदौर की एक फैमिली कोर्ट ने हाल ही में एक विवादास्पद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सिंदूर पहनना एक हिंदू विवाहिता महिला का धार्मिक कर्तव्य है। यह फैसला उस वक्त सामने आया है, जब पांच साल पहले पत्नी के घर छोड़कर चले जाने के बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपने अधिकार वापस पाने के लिए याचिका दायर की थी।

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सिंदूर लगाना - धर्म या दबाव? मध्य प्रदेश कोर्ट के फैसले पर सवाल

केवल महिलाओं के लिए सिंदूर?

कोर्ट का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। सबसे अहम सवाल ये है कि सिंदूर सिर्फ महिलाओं के लिए ही क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है? क्या पुरुषों को अपनी वैवाहिक स्थिति दिखाने के लिए कुछ नहीं पहनना चाहिए? 

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समाज में सिंदूर का प्रतीकात्मक महत्व

भारतीय समाज में सिंदूर सिर्फ एक लाल पाउडर नहीं है, बल्कि सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। पर ये परंपरा कई बार महिलाओं के लिए बोझ बन जाती है। अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की सिंदूर रहित तस्वीर को जबरदस्ती सिंदूर लगाकर एडिट करने की घटना को याद करें। या फिर गुवाहाटी हाई कोर्ट का वो फैसला, जहां सिंदूर और शंख पहनने से इनकार को हिंदू विवाह स्वीकार न करना माना गया। हाल ही में पश्चिम बंगाल में एक महिला के माथे पर उसके मृत प्रेमी के हाथों से सिंदूर लगाने की खबर भी सामने आई थी। 

विकासशील समाज, पर रूढ़िवादी विचारधारा?

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आज का समाज तेजी से बदल रहा है। अब कई शादियों में महिलाएं अपने पति को सिंदूर और मंगलसूत्र पहनाती हैं। कुछ समारोहों में दूल्हे दुल्हन के पैर छूकर समानता कायम करने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन फिर भी हमारे संविधान और कोर्ट रूम इतने रूढ़िवादी क्यों हैं?

सिंदूर पहनना: एक महिला का अधिकार

निस्संदेह, कई समुदायों में आज भी सिंदूर की परंपरा का पालन किया जाता है। और कई महिलाएं खुशी-खुशी इसे अपनाती हैं। लेकिन यहां असल मुद्दा है - महिलाओं का चयन। सिंदूर तभी पहना जाना चाहिए, जब कोई महिला खुद इसका महत्व मानती हो। कुछ महिलाएं तो सिंदूर पहनती हैं, लेकिन उससे जुड़े सामाजिक महत्व को नहीं मानतीं। किसी भी महिला को सिंदूर, मंगलसूत्र, शंख या किसी अन्य चीज को सिर्फ वैवाहिक स्थिति दिखाने के लिए पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

वस्त्र पहनने का अधिकार, वैवाहिक स्थिति का प्रदर्शन नहीं

क्या एक महिला को ये साबित करने के लिए सिंदूर लगाना जरूरी है कि वो शादीशुदा है और अब "उपलब्ध" नहीं है? क्या सिंदूर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाता है? हमें ये समझना होगा कि सिंदूर पहनना या न पहनना ये पूरी तरह से एक महिला का अधिकार है, ना कि कोई मजबूरी। खासकर कोर्ट और संविधान को इस बात पर जोर देना चाहिए। आप ये कह सकते हैं कि सिंदूर के छोटे से टीके से क्या नुकसान हो सकता है? इसका जवाब है - महिलाओं की पसंद और उनके शरीर पर उनके अधिकार का हनन। 

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