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Ram Navmi: मुस्लिम महिलाओं ने भी राम जी की पूजा कर दिया एकता का पैगाम

न्यूज़: वाराणसी में आज राम नवमी के दिन मुस्लिम महिलाओं ने कौमी-एकता का पैगाम देते हुए राम जी की पूजा-अर्चना की। ये पूरा आयोजन वाराणसी के लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित किया गया।

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Prabha Joshi
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वाराणसी

वाराणसी में राम नवमी पर मुस्लिम महिलाओं ने की शिरकत

Ram Navmi: आज देशभर में रामनवमी का उत्सव मनाया जा रहा है। रामनवमी यानि भगवान राम का जन्म। लेकिन इसी बीच वाराणसी से कौमी-एकता और अमन-औ-पैगाम से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है। वाराणसी में आज राम नवमी के दिन मुस्लिम महिलाओं ने कौमी-एकता का पैगाम देते हुए राम जी की पूजा-अर्चना की। ये पूरा आयोजन वाराणसी के लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान से जुड़ी मुस्लिम महिलाओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने प्रभु राम और सीता की आरती उतारकर एकता का पैगाम दिया।

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जब देश में आए-दिन सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी बातें सामने आ रही हैं, ऐसे में एक पक्ष ऐसा भी है जो विविध धर्मों का होते हुए भी सब धर्मों के लिए आगे आता है। वाराणसी में ऐसे ही इस तरह की संस्थाएं आगे आकर कौमी एकता का संदेश देती हुए सराहनीय कार्य कर रही हैं। 

उर्दू में प्रभु राम की प्रार्थना पढ़ी

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने आयोजन का नेतृत्व किया। संस्थान से जुड़ी हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों की महिलाओं ने उर्दू में रचित राम जी की प्रार्थना और आरती को पढ़ा। खबर के अनुसार प्रार्थना के बोल हैं : अयोध्या है हमारे जियारत गाह का नाम, रहते हैं वहां मालिक-ए-कायनात श्री राम, जय श्रीराम, जय श्रीराम। आओ मिलकर हम सब करें उनको सलाम, तकलीफ और गरीबी, दूर करते श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम। 

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दीपक जलाकर पूजा हुई

आयोजन में महिलाओं ने मिट्टी के दीपक जलाकर पूजा-अर्चना की। आयोजन में महिलाओं ने पूर्वजों की महिमा को हाइलाइट करते हुए कहा कि धर्म बदलने से पूर्वज नहीं बदलते। 

धर्म बदलने से न पूर्वज बदल सकते है और न मातृभूमि और न ही पूर्वजों के भगवान राम। जब तक हमारे पूर्वज भगवान राम के नाम से जुड़े थे तब तक दुनिया में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। अब लोग शक की दृष्टि से देखते हैं। हम जड़ों से जुड़े रहेंगे तो हमारा सम्मान बना रहेगा। —नाजनीन अंसारी, नेशनल सदर, मुस्लिम महिला फाउंडेशन

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खबर की मानें तो इस तरह संस्था से जुड़ी महिलाओं ने आगे आकर पूर्वजों और आपसी धर्मों की एकता की बात की। मुस्लिम महिलाओं ने अपनी जड़ों से जुड़े रहने की बात की। इसके साथ ही किसी भी तरह के विद्वेष मिटाने की भी प्रार्थना की गई। 

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