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Navjot Singh Sidhu and Wife Face ₹850-Crore Notice Over Cancer Home Remedy Claims: क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर को कैंसर के इलाज में "पारंपरिक आहार" के दावों को लेकर 850 करोड़ का कानूनी नोटिस भेजा गया है। छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी (CCS) ने इस दावे को भ्रामक बताते हुए इसका प्रमाण मांगा है।
नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी पर 850 करोड़ का नोटिस: कैंसर के घरेलू इलाज के दावे पर विवाद
क्या था सिद्धू का दावा?
एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी नवजोत कौर का स्टेज 4 कैंसर केवल आहार परिवर्तन से ठीक हो गया। उन्होंने कैंसर को "इंफ्लेमेशन" (सूजन) का परिणाम बताया और दावा किया कि दूध, गेहूं, मैदा और चीनी जैसे खाद्य पदार्थ कैंसर का कारण बनते हैं।
सिद्धू का आहार प्लान
सिद्धू ने एक डाइट प्लान साझा किया, जिसमें नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब का सिरका, अखरोट, नीम की पत्तियों का जूस, गाजर, आंवला, और क्विनोआ जैसी चीजें शामिल थीं। उन्होंने बताया कि कौर ने चावल, चीनी, डेयरी प्रोडक्ट्स और गेहूं को अपने आहार से हटा दिया।
सिद्धू ने यह भी कहा, "डॉक्टर मेरे लिए भगवान की तरह हैं, और उनकी सलाह से ही हमने ये कदम उठाए।"
Treatment + Diet - Great combination for Cancer cure! pic.twitter.com/Q8y4DPfGV3
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) November 22, 2024
चिकित्सकों का विरोध
सिद्धू के इन दावों ने चिकित्सा समुदाय में विवाद खड़ा कर दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे दावे लोगों को गुमराह कर सकते हैं। CCS ने कहा, "यह लोगों के मन में एलोपैथिक चिकित्सा के प्रति नकारात्मकता पैदा कर रहा है।"
CCS के सवाल
CCS ने नवजोत कौर से निम्नलिखित सवाल पूछे:
- क्या आप अपने स्वास्थ्य और उपचार को लेकर अपने पति द्वारा किए गए दावों का समर्थन करती हैं?
- क्या आपको लगता है कि आपने एलोपैथिक दवाओं का कोई प्रभाव नहीं लिया?
- क्या आपने केवल नीम के पत्ते, हल्दी और तुलसी जैसे आहार का ही सेवन किया था, या एलोपैथिक दवाएं भी ली थीं?
कानूनी कार्यवाही की चेतावनी
CCS ने कहा कि सिद्धू के दावे कैंसर रोगियों को बीच में इलाज छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिससे उनके जीवन को खतरा हो सकता है। सोसाइटी ने कौर को एक सप्ताह का समय दिया है, ताकि वह अपने दावों का प्रमाण प्रस्तुत करें, अन्यथा कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
सिद्धू के इस बयान ने न केवल चिकित्सा समुदाय में हलचल मचाई है, बल्कि यह भी सवाल उठाए हैं कि क्या उनके दावे मरीजों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इस मामले में आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।