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Delivery: प्रसव के दौरान शिशु की आंत बाहर, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

हैल्थ | न्यूज़ : आगरा के गंगाराम अस्पताल ट्रांस यमुना की है। यहां नगला रामबक्स निवासी त्रिमोहन शर्मा ने अपनी पत्नी शीतल को प्रसव पीड़ा के दौरान भर्ती कराया। महिला की डिलीवरी की गई जिसके बाद बताया गया कि नवजात की आंत नाभि से बाहर निकली है।

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Prabha Joshi
28 Apr 2023
Delivery: प्रसव के दौरान शिशु की आंत बाहर, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

प्रतीकात्मक चित्र

Delivery: प्रसव के दौरान अक्सर गर्भवती महिलाओं के साथ अस्पताल में कुछ-न-कुछ अनहोनी घटना सामने आ ही जाती है। ऐसी ही एक मामला आगरा के गंगाराम अस्पताल से सामने आ रहा है। यहां एक गर्भवती महिला के परिजनों का आरोप है कि उसके बच्चे का डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों से पेट कट गया। परिजनों के बीच आक्रोश छा गया। हालांकि पुलिस ने मामले को शांत करा दिया। मालूम हो अस्पतालों में अक्सर प्रसव के दौरान बहुत से मामले सामने आ जाते हैं। 

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क्या है मामला 

घटना आगरा के गंगाराम अस्पताल ट्रांस यमुना की है। यहां नगला रामबक्स निवासी त्रिमोहन शर्मा ने अपनी पत्नी शीतल को प्रसव पीड़ा के दौरान भर्ती कराया। अस्पताल ने उनसे डिलीवरी के लिए 12,000 रुपए बताए जिसपर परिजनों ने 10,000 रुपए जमा किए। महिला की डिलीवरी की गई जिसके बाद बताया गया कि नवजात की आंत नाभि से बाहर निकली है। इतना ही नहीं अस्पताल ने इलाज के लिए कहा कि किसी बड़े अस्पताल में ले जाएं। ऐसे में परिजनों के होश उड़ गए।

क्या लगा आरोप 

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परिजन नवजात की आंत बाहर निकलने की बात पर आक्रोश में आ गए। परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर से ब्लेड लगने के दौरान आंत बाहर निकली है। ये आरोप हाॅस्पिटल संचालक डाॅ. प्रिया अग्रवाल पर लगाए गए। 

डॉक्टर ने क्या कहा

हाॅस्पिटल संचालक डाॅ. प्रिया अग्रवाल ने इस बाबत कहा कि नवजात को जन्मजात विकृति से आंत बाहर निकल आई हैं। ऐसे में पुलिस ने परिजनों को समझाकर शांत करा दिया। 

बता दें बहुत से ऐसे मामले होते हैं जिनमें बच्चों में पैदाइशी विकृतियां पैदा हो जाती हैं। आंकड़ों के अनुसार हर 100 बच्चों में 3 बच्चों को कोई-न-कोई पैदाइशी विकृति निकल आती है। ऐसे में कई बार बच्चों का बचना मुश्किल भी होता है। 

विशेषज्ञों की मानें तो इससे बचने के लिए जरूरी है 16 से 20 हफ्ते में गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करा दिया जाए। इसके साथ ही जरूरी है विकृति से जुड़े बच्चे के खून के नमूने ले लिए जाएं जिससे कारणों का पता चल सके। परिजनों की सहमति से कई बार गर्भपात भी करा दिया जाता है। वहीं गंभीर मामलों में बच्चों की एटॉप्सी भी जरूरी होती है जिससे विकृति से जुड़े बच्चों के जन्म को रोका जा सके। 

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