Oribai: मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर एक सराहनीय खबर सामने आ रही है। मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले की ओरीबाई जैविक खेती के लिए बहुत बड़ा प्रयास कर रही हैं। ओरीबाई न केवल जैविक खेती के प्रति कार्य कर रही हैं बल्कि वे महिलाओं को रोजगार देकर उनके आर्थिक सशक्तिकरण में भी आगे आ रही हैं। ओरीबाई जैविक खेती के साथ-साथ 300 अन्य महिलाओं को जैविक खेती से जुड़े गुर सिखा रही हैं।
अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी कमी आड़े नहीं आती। ओरीबाई अशिक्षित थीं लेकिन अशिक्षा उनके आड़े नहीं आ पाई। आज वो ऐसा कार्य कर रही हैं जो अन्य के लिए मिसाल बन रहा है। ओरीबाई एक जनजातीय समूह से आती हैं। उम्र में 50 वर्षीय ओरीबाई अपने क्षेत्र में रसायनिक खादों के स्थान पर जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं।
आर्थिक स्थिति नहीं थी अच्छी
50 वर्षीय ओरीबाई के मानें तो उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। इसके साथ ही उनमें शिक्षा का अभाव था। जब उन्हें किसी तरह जैविक खेती के बारे में पता चला जब उन्होंने अपने खेत में स्थित कुएं का गहरीकरण कराकर उसमें जैविक खेती से जुड़ा काम शुरू कर दिया। उन्होंने अपने खेत में जैविक खेती के बल पर चंदन और आम की खेती की। ओरीबाई की मानें तो अब उनके पास चंदन और आम का बगान है। ओरीबाई ने आम और चंदन की सफलता के बाद सब्जियों और फलों पर भी काम शुरू कर दिया। अपने सपनों में सफलता पाते हुए ओरीबाई ने आगे चलकर इसको अपने तक ही सीमित न करके क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी जैविक खेती के प्रति शिक्षित करना चाहा और किया।
मातृशक्ति के समूह ने मुझे और अन्य साथियों को बड़ा संबल प्रदान किया है, इसलिए जब तक जीवित रहूंगी सभी को साथ लेकर काम करती रहूंगी। अब सहभागिता से सभी की उन्नति को सुनिश्चित करना ही मेरा लक्ष्य है। —ओरीबाई
300 अन्य महिलाएं सीख रहीं गुर
ओरीबाई की मानेें तो अब उनका समूह जैविक खेती के साथ-साथ उससे जुड़ी दवाइयां भी बना रहा है। आज ओरीबाई से क्षेत्र की 300 महिलाएं जैविक खेती से जुड़े गुण सीख रही हैं। ओरीबाई का इसके पीछे मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वापस प्रकृति की ओर लाना और मिट्टी को सुरक्षित करना है। इसके साथ ही लोगों का जीवन सुधारने का भी है।
ओरीबाई अपने इस जैविक खेती के प्रति प्रयास से क्षेत्रवासियों के साथ-साथ देश के प्रति एक मिसाल पेश की है। जैविक खेती से जुड़ी दवाओं के बनाने से ओरीबाई मिट्टी और लोगों के स्वास्थ्य को बचा रही हैं।