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डांसिंग की शुरुआत
इंदिरा पी. पी बोरा ने बचपन से सैकिया बरब्यान, घाना कांत बोरा और प्रदीप छैला के अंडर सत्त्रिया नृत्य सीखना शुरू किया। उन्होंने मद्रास में रुक्मिणी देबी अरुंडेल की मेंटरशिप के तहत 13 साल तक भरतनाट्यम में ट्रेनिंग ली। गुरु वेम्पति चिन्ना सत्यम से कुचिपुड़ी में ट्रेनिंग ली।
बोरा असम से हैं और सम्मान प्राप्त करनेवाली पूर्वोत्तर के 15 व्यक्तित्वों में से एक हैं। वह कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम और सत्त्रिया डांसफोरम्स में माहिर हैं।
सत्त्रिया नृत्य एक नृत्य और नाटक का संयोजन है जिसका ओरिजिन पूर्वी राज्य असम में हुई थी। यह महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के आशीर्वाद के तहत वैष्णव धर्म के मोनस्ट्रीज से शुरू हुआ था। ये मठ या "संत्र" असम में लोगों के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एक्टिविटीज का केंद्र थे।
सत्त्रिया नृत्य एक नृत्य और नाटक का कॉम्बिनेशन है जिसकी शुरुआत पूर्वी राज्य असम में हुई थी।
डांस में उपलब्धियां
इंदिरा पीपी बोरा सत्त्रिया नृत्य की एक प्रतिष्ठित डांसर रही हैं और उन्होंने इस कला के रूप में बहुत योगदान दिया है। उनके योगदान के लिए, संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें वर्ष 1996 में एक पुरस्कार दिया। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर, बिन्सु राभा, ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और कई प्रमुख कलाकारों के गीतों और कविताओं को भी कोरियोग्राफ किया है।
इसके अलावा, 2019 में, केरेला सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान से मान्यता दी जो राज्य में भिन्न है। उन्हें सत्त्रिया नृत्य के रूप में लोकप्रिय बनाने के लिए "गुरी गोपीनाथ देसिया नाट्य पुरुस्कारम" के लिए चुनी गयी थी ।
सत्त्रिया के बारे में जागरूकता फैलाना
1982 में, उन्होंने गुवाहाटी में एक संस्था कलाभूमि स्थापित की। यहाँ, वह सत्त्रिया नृत्य और भरतनाट्यम दोनों में छात्रों को ट्रैन कर रही हैं। वह सत्व रूप की मान्यता को बढ़ाने का प्रयास करती है। बोरा कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन भी करते हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने कौशल को प्रस्तुत करने के अलावा, उन्होंने नृत्य के बारे में कई आर्टिकल लिखे हैं।