PM Narendra Modi Praises Indias First Woman Hairdresser: शांताबाई को भारत की पहली महिला हेयर ड्रेसर माना जाता है जिन्होंने लैंगिक असमानता की सीमाओं को तोड़ा और अकेले ही संघर्ष किया और अपने परिवार का पेट पालाI शांति बाई महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिला के अरदल गांव से हैंI इन चार दशकों से शांताबाई नाई का काम किये जा रही हैंI जबकि कहा जा सकता है कि यह नौकरी उनकी मर्जी नहीं बल्कि समय की मांग थी जब उनके पति का देहांत हो गया था और परिवार को चलाने के लिए उन्हें अपने पति की नौकरी को अपनाना पड़ा तब के जमाने में एक महिला का नाई की तरह काम करना बिल्कुल भी मान्य नहीं था वैसी हालत में शांताबाई ना केवल अपने गांव में बल्कि बाकी गांव में भी दर-दर भटकती रही काम की तलाश में लेकिन किसी भी तरह काम करके उन्होंने अपने परिवार को पाला पोसा और अपनी चारों बेटियों का विवाह करवायाI
क्या कहा शांताबाई ने अपने इतने सालों के संघर्ष के बारे में?
पीएम मोदी से बात करने के बाद शांताबाई की खुशी का ठिकाना न थाI उनके खुशी को बयां करते हुए टाइम्स नाउ से उनके इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने संघर्षों के बारे में बताते हुए कहा कि "मेरे पास केवल दो ही विकल्प थे या तो मैं अपनी बेटियों और खुद को मार डालूं...या अपने पति द्वारा छोड़ी गई संपत्ति को बरकरार रखूं।" शांताबाई ने ऐसी हालत में अपने पूरे परिवार को संभाल एक छोटे लकड़ी के डिब्बे के सहारे जिसमें एक छुड़ा, एक कैची का जोड़ा, एक उस्तरा और एक पाउडर थाI उस लकड़ी के डिब्बे को वह रविवार को यशोभूमि में लाई थी जो उनके इतने सालों के संघर्ष का प्रतीक हैl
इसी अवसर पर उनकी बेटी भी उनके साथ थी जिसने अपनी मां के मेहनत और त्याग की मिसाल देते हुए कहा कि "मेरे पिता का बहुत कम उम्र में निधन हो गया, यह परिवार के लिए एक कठिन समय था और मेरी माँ ने बाल काटकर, दाढ़ी बनाकर और सैलून चलाकर हम सभी (चार बच्चों) का पालन-पोषण किया।"
क्या है यह नया पीएम विश्वकर्मा स्कीम?
जिस शुभ अवसर पर देश के हर प्रांत से यह कारीगर आए थे वह था पीएम मोदी ने विश्वकर्मा कारीगरों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करते हुए लोगों से गणेश चतुर्थी, धनतेरस और दिवाली जैसे आगामी त्योहारों के दौरान अपनी लोकल स्थानों से चीज़ें खरीदने की अपील की। प्रधानमंत्री ने स्थानीय एंटरप्रेन्योरशिप के विचार की भी वकालत की। पीएम विश्वकर्मा योजना पर भारत सरकार 13,000 करोड़ रुपये खर्च करेगीI
शांताबाई देश की हर उन औरतों के लिए एक मिसाल हैं जिन्होंने एक ऐसी जगह से शुरुआत की जहां पर ना तो कोई साधन थी ना ही मान्यता इन्होंने समाज की रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए देश की पहली महिला हेयर ड्रेसर बनने का उदाहरण स्थापित कियाI