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सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के पहनावे पर पाबंदी का विरोध: पुणे की महिलाओं का जवाब हुआ वायरल

पुणे में महिलाओं को "संस्कारी कपड़े" पहनने के लिए कहने वाले बैनर पर महिलाओं के शानदार जवाब ने सोशल मीडिया पर धमाल मचा दी है। जानिए पूरा मामला और महिलाओं के इस जवाब की खासियत।

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Vaishali Garg
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Pune Women Clap Back at Sexist Banner Telling Them to Dress Modestly

Pune Women Clap Back at Sexist Banner Telling Them to Dress Modestly: भारत में, खासकर महिलाओं के पहनावे के चयन पर नैतिक पुलिसिंग विवाद और स्वतंत्रता और लैंगिक समानता पर चर्चा को लगातार जन्म देती रहती है। हाल ही में, एक सोशल मीडिया यूजर ने पुणे में इस तरह की ही एक घटना पर महिलाओं के शानदार जवाब को कैमरे में कैद कर लिया, जहां महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से "संस्कारी कपड़े" पहनने के लिए कहने वाले बैनर का विरोध किया।

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सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के पहनावे पर पाबंदी का विरोध: पुणे की महिलाओं का जवाब हुआ वायरल

महिलाओं का शानदार जवाब

यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। मूल बैनर में मराठी में लिखा था, "महिलाओं, ऐसे कपड़े पहनें जिन्हें देखकर कोई बुरी नजर से ना देखे। सौजन्य से, मस्त ग्रुप।"

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जहां मूल पोस्ट महिलाओं के पहनावे पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा था, वहीं पुणे की महिलाओं ने इसे बर्दाश्त नहीं किया। उन्होंने ठीक नीचे एक और बैनर लगाकर जवाब दिया, जिस पर लिखा था, "पुरुषों, अपना दिमाग इतना साफ रखें कि कोई भी क्या पहने, इस पर आपकी निगाहें ना भटके। सौजन्य से, त्रस्त (दुखी) ग्रुप।"

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यह जवाब महिलाओं की पसंद पर नियंत्रण करने की कोशिश का मुंहतोड़ जवाब था। इसने समाज में महिलाओं के पहनावे के बारे में मौजूद विचारधारा पर भी सवाल खड़ा कर दिया।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

यह बैनर पुणे के डेक्कन इलाके में एक वाॅकिंग ट्रैक पर लगाया गया था। गौरतलब है कि "मस्त ग्रुप" ने इस संदेश के साथ पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी सिंधुताई सपकाल की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया। हालांकि, नेटिजनों ने बताया कि उन्होंने ऐसा सिर्फ अपने संदेश को "वजन" देने के लिए किया था। सिंधुताई सपकाल ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहा है और न ही उनके किसी बयान से ऐसा कुछ पता चलता है।

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सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर काफी चर्चा हो रही है। कई लोग महिलाओं के समूह के इस सटीक जवाब की सराहना कर रहे हैं। वहीं कई नेटिजनों ने मूल बैनर के पीछे के सेक्सिस्ट इरादे को उजागर किया है और महिलाओं की पसंद के बारे में सामाजिक रवैये पर चर्चा शुरू कर दी है। कुछ लोगों ने भारत में उनके साथ हुए नैतिक पुलिसिंग के अपने अनुभव भी साझा किए हैं।

पुणे की महिलाओं का यह जवाब महिलाओं के पहनावे की आजादी और समाज में लैंगिक समानता पर बहस को आगे बढ़ाता है। यह इस बात को रेखांकित करता है कि महिलाओं की सुरक्षा पुरुषों की मानसिकता में बदलाव से आएगी, न कि महिलाओं के पहनावे को नियंत्रित करने से।

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