राधिका गुप्ता एडलवेस एमएस की चीफ़ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने सुसाइड अटेम्प्ट से लेकर इंडिया के यंगेस्ट सीईओ बनने तक की अपनी कहानी लोगों के साथ शेयर की।
राधिका ने पोस्ट में लिखा कि वह मुड़ी हुई गर्दन के साथ पैदा हुई थी जिसके लिए उन्हें स्कूल में बुली किया जाता था। वह स्कूल में नई भी थी इसलिए उनके लिए यह समस्या ज्यादा बढ़ गई। उनके पिता एक डिप्लोमेट थे. नाइजीरिया पहुंचने से पहले वह पाकिस्तान दिल्ली और न्यू यॉर्क में रह चुकी थी।
उनकी अक्सर उनकी मां के साथ तुलना की जाती थी। उनकी मां उन्हीं के स्कूल में काम करती थी जो बहुत ही कॉन्फिडेंट और खूबसूरत हैं। इससे राधिका का कांफिडेंस और भी कम हो गया। इन सभी इनसिक्योरिटीज के चलते उन्होंने 22 साल की उम्र में खुदकुशी करने की कोशिश भी की। तब उन्हें अपना सातवां जॉब रिजेक्शन मिला था।
वह खिड़की खोल कर कहने लगी कि वह कूद जाएंगी और तभी उनकी दोस्त ने मदद के लिए आवाज लगाई। उन्हें तुरंत व्हील चेयर पर बैठा कर साइकेट्रिस्ट के पास ले जाया गया। वहां उनके परिवार को पता चला कि वह डिप्रेस्ड है। राधिका को वहां से डिस्चार्ज सिर्फ तब मिला जब उन्होंने कहा उनका जॉब इंटरव्यू है और यह उनका आखिरी मौका है।
इसी मौके को जीतकर राधिका ने मैकिंसी में जॉब ले ली।
लेकिन कुछ साल बाद आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने 25 की उम्र में इंडिया वापस आकर अपना बिजनेस करने का फैसला लिया। कुछ साल बाद एडलवाइज एमएफ ने उनकी कंपनी खरीद ली। इस मौके पर वह खुद को सभी सूटों के बीच में एक साड़ी की तरह बताती हैं। जब एडलवेस के सीईओ की पोस्ट निकली तो उनके पति ने उन्हें इसके लिए अप्लाई करने का प्रोत्साहन दिया। कुछ ही साल बाद वह 33 की उम्र में एडलवेस सीईओ बन गई और उनका नाम इंडिया के यंगेस्ट सीईओ की लिस्ट में शामिल हो गया।
इस सफलता के बाद उन्हें कई मंचो पर बुलाया गया। यहां उन्होंने अपनी स्ट्रगल की कहानी हजारों लोगों के साथ शेयर की और उन्हें प्रेरणा दी। यहां तक कि उन्होंने लोगों को प्रेरणा देने के लिए एक किताब भी लिखी जिसका नाम है -"Limitless"
उन्होंने अपने पोस्ट के आखिर में लिखा कि अब जब भी कोई उनके लुक पर टिप्पणी करता है तो वह पूछती है कि मेरी तो गर्दन और आंख टेढ़ी है। लेकिन तुम्हारे बारे में क्या अलग है?