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रजनी बाला कश्मीर की रहने वाली 36 साल की महिला है। वह कश्मीर की कुलगम जिले के एक स्कूल में अध्यापिका हैं। दिनदहाड़े आतंकियों द्वारा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। वह जन्म से कश्मीरी पंडित हैं। कश्मीरी पंडित की हत्या होने पर पूरी कश्मीरी पंडितों की कम्युनिटी सरकार पर सवाल उठा रही है। इस हत्या के बाद घाटी में रहने वाले लोगों के अंदर गुस्सा भर गया है। कश्मीरी पंडितों ने मार घाट के खिलाफ प्रोटेस्ट शुरू कर दिया है और अपने लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
रजनी बाला की 31 मई को आतंकी द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। जिस वक्त उन्हें गोली मारी गई तब वह अपने स्कूल की तरफ जा रही थी। कश्मीरी पंडित की इस हत्या ने एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों की कम्युनिटी में आक्रोश की भावना भर दी है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह उनके संरक्षण में नाकामयाब रही है। राजनीतिज्ञ उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने हत्या पर शोक प्रकट करते हुए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
रजनी सांबा जिले की रहने वाली थी लेकिन उनकी भर्ती कश्मीर के कुलगाम जिले में की गई। इसे हिंदू लोगों को निशाना बनाने का फैसला समझा जा रहा है। इससे पहले भी इसी महीने मैं एक और हिंदू क्लर्क राहुल भट्ट का कत्ल कर दिया गया था। एक हफ्ते पहले ही आतंकियों द्वारा एक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर अंब्रीन भट्ट को गोली मार दी गई थी।
कौन हैं रजनी बाला?
रजनी बाला 36 साल की कश्मीरी पंडित और पेशे से अध्यापिका हैं। वह कुलगम जिले के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी। उनकी अपने पति राज कुमार के साथ एक किशोर बच्ची भी है। उनके पति राजकुमार भी पेशे से एक सरकारी अध्यापक हैं।
DNA की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा बताया जा रहा है की रजनी को 31 मई को मारने की पहले से ही प्लानिंग की जा चुकी थी। क्योंकि उनका और उनके पति का 30 मई को ही दूसरे स्कूलों में तबादला किया गया था। वे इसी जिले में 14 साल से रह रहे थे लेकिन उन्हें डर था कि उन्हें मार दिया जाएगा। यहां तक की उन दोनों से पहले ही दूसरे जिले मैं जाकर रहने की अपील की गई थी।
राजकुमार ने कहा कि अगर सरकार ने कश्मीरी पंडितों की सेफ्टी का ध्यान रखा होता तो ऐसा नहीं होता। रजनी ने तो हमेशा सबको अपने दोस्त की तरह ही समझा। रजनी के ससुर ने भी सरकार को कश्मीरी पंडितो की हत्या का दोषी ठहराया।