पद्म श्री से सम्मानित भारतीय हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल ने हाल ही में अपने 16 साल के प्रेरणादायक करियर के अंत की घोषणा की है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर हॉकी की दुनिया में राज करने वाली रानी की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है।
रानी रामपाल का सफर
रानी रामपाल, जिन्होंने 24 अक्टूबर को अपने संन्यास की घोषणा की, का सफर अद्वितीय रहा है। 29 वर्षीय रानी का साधारण परिवार से हॉकी की रानी बनने तक का सफर बेहद प्रेरणादायक है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "यह एक शानदार यात्रा रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने लंबे समय तक भारत के लिए खेल पाऊंगी। मैंने बचपन से ही गरीबी देखी, लेकिन मेरा ध्यान हमेशा देश का प्रतिनिधित्व करने पर रहा।"
कौन हैं रानी रामपाल?
रानी रामपाल भारत की सबसे प्रतिष्ठित हॉकी खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में 2008 में ओलंपिक क्वालीफायर में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया। उन्होंने भारत के लिए 254 मैचों में 205 गोल किए। हरियाणा की यह स्ट्राइकर और मिड-फील्डर सिर्फ 15 साल की उम्र में 2010 के वर्ल्ड कप के लिए राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो गई थीं।
रानी ने कई टूर्नामेंट्स जीते और अनगिनत दिलों पर राज किया, और इसलिए उन्हें 'रानी' या भारतीय हॉकी की रानी कहा जाता है। 2023 में, उन्होंने अंडर-17 खिलाड़ियों को कोचिंग देना शुरू किया। उन्हें 2020 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
टोक्यो ओलंपिक्स में कप्तानी
रानी रामपाल ने उस राष्ट्रीय टीम की कप्तानी की, जिसने टोक्यो ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उस समय, भारतीय महिला हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंची, जो वर्षों बाद हुआ और देश को गर्वित किया। हालांकि टीम को पदक नहीं मिला, लेकिन उनके प्रदर्शन की जमकर तारीफ हुई।
टूर्नामेंट के बाद, रानी ने SheThePeople से बातचीत में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "बड़े टूर्नामेंट्स के दौरान मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना शारीरिक फिटनेस। हमें अपने मन पर उतना ही काम करना चाहिए जितना हम अपने शारीरिक फिटनेस रूटीन पर करते हैं।"
रानी रामपाल हॉकी स्टेडियम: महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
2023 में रानी रामपाल ने एक और उपलब्धि हासिल की जब उनके नाम पर एक स्टेडियम का नाम रखा गया। MCF रायबरेली स्टेडियम का नाम बदलकर 'रानीज़ गर्ल्स हॉकी टर्फ' किया गया। यह पहली बार था जब किसी महिला हॉकी खिलाड़ी के नाम पर स्टेडियम का नाम रखा गया हो।
रानी ने इस सम्मान के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें इस तरह सम्मानित होने पर गर्व है और यह प्रेरणा देने का काम करेगा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
संन्यास का निर्णय और भविष्य की योजनाएं
रानी रामपाल ने अपने संन्यास की घोषणा के दौरान कहा कि वह अब युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें मार्गदर्शन देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। वह चाहती हैं कि भारत में अधिक से अधिक लड़कियां हॉकी खेलें और इस खेल में नए मानदंड स्थापित करें।
रानी रामपाल का योगदान और उनका सफर आने वाले वर्षों में भी कई खिलाड़ियों और लोगों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।