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रत्ना पाठक शाह बर्थडे : आज रत्ना पाठक शाह का जन्मदिन है। इनका जन्म 18 मार्च 1957 को मुंबई में हुआ था। रत्ना पाठक शाह भारतीय फ़िल्म एवं टेलीविज़न अभिनेत्री हैं। इनकी शादी, हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक नसीरुद्दीन शाह से हुईं है। रत्ना पाठक एक मशहूर कॉमिक टीवी शो साराभाई v/s साराभाई का भी हिस्सा रहीं।
रत्ना द्वारा निभाए गए, तमाम किरदारों के कारण इन्हें लोगों से काफ़ी सराहना भी मिली। 2017 में आई इनकी एक फिल्म, लिप्स्टिक अन्डर माय बुरखा (Lipstick Under My Burkha) में ये एक बेजोड़ किरदार निभाती और कई स्टीरियोटाइप (stereotype) तोड़ती नज़र आई। रत्ना पाठक शाह हमेशा-से ही मुखर रहीं हैं और कई बार इन्हें औरतों के हक व सम्मान के लिए आवाज उठाते भी देखा गया है।
लड़कियां ये काम कर सकती है और ये नहीं; सबकुछ खुद-ब-खुद कैसे तय हो जाता है, इसपर SheThePeople से बात करते हुए रत्ना पाठक शाह कहती हैं – ''पितृसत्ता की पहली शिक्षा, घर से ही मिलती है और सबकुछ वही से तय हो जाता है। अगर वो लड़की है तो उसे ऐसा व्यवहार करना है और अगर वो लड़का है तो उसे ऐसा। पर सीमाएँ सबकी तय होती है। पितृसत्ता ने हर किसी पर अपना कब्ज़ा किया है।''
लड़कियों को बचपन से दी जाने वाली शिक्षा पर रत्ना आगे बताती हैं – ''हमने लड़कियों को उनके बचपन से ही यह समझा रखा है कि एक समय बाद तुम्हारी शादी होगी और फिर वही इंसान तुम्हारी रक्षा करेगा। यह कितनी खोंखली मानसिकता है। और सबसे अजीब बात यह है कि इस खोंखली मानसिकता के साथ हम सदियों से जी भी रहे हैं।'' रत्ना पाठक शाह बर्थडे
रत्ना द्वारा निभाए गए, तमाम किरदारों के कारण इन्हें लोगों से काफ़ी सराहना भी मिली। 2017 में आई इनकी एक फिल्म, लिप्स्टिक अन्डर माय बुरखा (Lipstick Under My Burkha) में ये एक बेजोड़ किरदार निभाती और कई स्टीरियोटाइप (stereotype) तोड़ती नज़र आई। रत्ना पाठक शाह हमेशा-से ही मुखर रहीं हैं और कई बार इन्हें औरतों के हक व सम्मान के लिए आवाज उठाते भी देखा गया है।
''पितृसत्ता की पहली शिक्षा, घर से ही मिलती है'' – रत्ना पाठक शाह। रत्ना पाठक शाह बर्थडे
लड़कियां ये काम कर सकती है और ये नहीं; सबकुछ खुद-ब-खुद कैसे तय हो जाता है, इसपर SheThePeople से बात करते हुए रत्ना पाठक शाह कहती हैं – ''पितृसत्ता की पहली शिक्षा, घर से ही मिलती है और सबकुछ वही से तय हो जाता है। अगर वो लड़की है तो उसे ऐसा व्यवहार करना है और अगर वो लड़का है तो उसे ऐसा। पर सीमाएँ सबकी तय होती है। पितृसत्ता ने हर किसी पर अपना कब्ज़ा किया है।''
लड़कियों को बचपन से दी जाने वाली शिक्षा पर रत्ना आगे बताती हैं – ''हमने लड़कियों को उनके बचपन से ही यह समझा रखा है कि एक समय बाद तुम्हारी शादी होगी और फिर वही इंसान तुम्हारी रक्षा करेगा। यह कितनी खोंखली मानसिकता है। और सबसे अजीब बात यह है कि इस खोंखली मानसिकता के साथ हम सदियों से जी भी रहे हैं।'' रत्ना पाठक शाह बर्थडे